नई दिल्ली। नीचे दी गई पांच गड़बडिय़ां तो सिर्फ उदाहरण हैं उस रास्ते का, जो सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पहले ही निशाने पर चल रहे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) पर अब एक नई गाज गिरा सकता है। यह रास्ता होगा, सुप्रीम कोर्ट के 21 अक्टूबर को दिए अंतरिम निर्णय में जस्टिस लोढा कमेटी को बोर्ड की फाइनेंशियल प्लानिंग पर शिकंजा कसने के लिए दिए गए ऑडिटर बैठाने का निर्देश। बीसीसीआई अधिकारियों को अपने फाइनेंशियल रिकॉर्ड पर लोढा कमेटी की तरफ से ऑडिटर बैठाए जाने की हालत में इन गड़बडिय़ों जैसे और भी दर्जनों खर्च सामने आने का खतरा महसूस हो रहा है, जो किसी भी हालत में वैधानिक नहीं कहे जा सकते हैं।
ऑडिटर ने मांगी खास ऑडिट रिपोर्ट तो खुलेगी पोलबीसीसीआई सूत्रों की माने तो लोढा कमेटी की तरफ से नियुक्त ऑडिटर बीसीसीआई और राज्य एसोसिएशनों के बीच के कार्याकलाप और आर्थिक लेन-देन से जुड़ी 31 मार्च, 2015 तक की फाइनेंशियल ऑडिट रिपोर्ट तलब कर सकता है। ‘इंडिया टुडेÓ की वेबसाइट पर बोरिया मजूमदार की लिखी खबर के अनुसार, सभी राज्य एसोसिएशनों से भी उनकी आंतरिक फाइनेंशियल कार्यकलाप से जुड़ी यह रिपोर्ट तलब की जा सकती है। बोर्ड अधिकारियों को डर है कि फिलहाल बीसीसीआई के लीगल एडवाइजर अमरचंद मंगलदास की सेफ कस्टडी में रखी यह रिपोर्ट यदि सामने आई तो ऊपर दी गई गड़बडिय़ों जैसे बहुत तरह के ऐसे खर्च भी सामने आ जाएंगे, जो सुप्रीम कोर्ट को नए सिरे से जांच बैठाने का कारण दे सकते हैं।
बीसीसीआई पर भी उठेगा सवालइस ऑडिट रिपोर्ट के सार्वजनिक होने पर बीसीसीआई पर भी सवाल उठेंगे कि उसकी तरफ से ऑडिट कराने पर सामने आई इन गड़बडिय़ों को उसने सार्वजनिक करते हुए कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मामले में सुनवाई करते हुए बीसीसीआई के कार्यकलाप पर टिप्पणी कर चुका है कि एक रेप्युटेड फर्म के सवालिया निशान उठाए जाने पर भी कार्रवाई नहीं करना बहुत ही घातक स्थिति है।
यह भी उठ रहे सवाल - अपनी कार्यशैली में ट्र्रांसपेरेंसी और अकाउंटेबिल्टिी को मंत्र के रूप में प्रचारित करने वाले बीसीसीआई ने यह खास ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की?
- 50 लाख रुपये से ऊपर का कोई भी पेमेंट अपनी वेबसाइट पर डालने की बात कहने वाले बीसीसीआई ने ये रिपोर्ट ऑनलाइन क्यों नहीं अपलोड की?
- यह पब्लिक को क्यों नहीं जानना चाहिए कि बीसीसीआई के अंदर क्या चल रहा है?
- यह भी सवाल है कि इस तरह की अनैतिक हरकत करने वाले लोग अब भी एसोसिएशनों के ऑफिस में क्यों मौजूद हैं?
Home / Uncategorized / लोढा कमेटी बनाम बीसीसीआई : ऑडिटर का बैठना मतलब एक नई मुसीबत