फर्जी टीपी से वनोपज का हो रहा था परिवहन
. वनविभाग द्वारा वनोपज के परिवहन की टीपी उसी को जारी की जाती है तो परिवहन के लिए विभाग में पंजीकृत हो।
बालाघाट. वनविभाग द्वारा वनोपज के परिवहन की टीपी उसी को जारी की जाती है तो परिवहन के लिए विभाग में पंजीकृत हो। लेकिन एक अपंजीकृत व्यापारी द्वारा विभाग की टीपी से 50 घनमीटर से ज्यादा वनोपज का परिवहन कर दिया। इसका पता उस समय चला जब छग राज्य के राजनांदगांव जिले में चार ट्रकों को वहां के वन अमले ने पकड़ा गया। जिनसे टीपी के बारे में पूछताछ की गई। जो कि संदेहास्पद प्रतीत हुई। इस मामले की जांच करने के लिए मंगलवार को राजनांदगांव से वन अमला बालाघाटपहुंचा था। इधर, मामले का खुलासा होने के बाद बालाघाट का वन अमला इसकी जांच में जुट गया है।
जानकारी अनुसार विभाग को राजनांदगांव के शिव टिम्बर में बालाघाट से वनोपज के परिवहन किए जाने की जानकारी मिली थी। पूछताछ पर पता चला कि जिस बालाघाट के सांई टिम्बर से बालाघाट परिक्षेत्र की टीपी से वनोपज का परिवहन किया गया था, वह पंजीकृत ही नहीं है। फिर अपंजीकृत टिम्बर को टीपी जारी कैसे कर दी गई। इस मामले में किसी बड़ी साजिश की आशंका से वन अमले नें वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में इसकी जांच शुरु की है। इस मामले की पुष्टि वनमंडलाधिकारी अशोक कुमार ने भी की है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच होने के बाद ही पूरा प्रकरण सामने आएगा।
सांई टिम्बर ने भिजवाई थी वनोपज
वन विभाग के अधिकारियों की माने तो राजनांदगांव में मिले वनोपज का परिवहन बालाघाट के किसी सांई टिम्बर द्वारा किया गया था। जिसमें बालाघाट परिक्षेत्र से जारी टीपी का उपयोग किया गया है। जबकि जानकारी में बताया गया है कि सांई टिम्बर इसके लिए अधिकृत ही नहीं है। मामले की जांच होने के बाद ही इसका खुलासा हो पाएगा। बताया गया है कि सांई टिम्बर द्वारा बालाघाट से पिछले कई दिनों से मप्र व छग में साजा प्रजाति सहित अन्य वनोपज का परिवहन किया जा रहा था।
वनमंडलाधिकारी अशोक कुमार के अनुसार इस मामले में विभागीय कर्मचारियों को जारी टीपी को तत्काल जब्त करने और मामले की निष्पक्षता से जांच करने के निर्देश दिए गए हैं।