scriptरैम्प न व्हीलचेयर, न सलीका | NO ramp, No wheel chair and no manners | Patrika News

रैम्प न व्हीलचेयर, न सलीका

locationजयपुरPublished: Nov 28, 2015 07:48:00 pm

शहर को साफ सुथरा और सुगम बनाने वाला जयपुर नगर निगम का मुख्यालय ही नि:शक्तजनों के लिए ‘सुगम’ नहीं है

Jaipur news

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जयपुर। शहर को साफ सुथरा और सुगम बनाने वाला जयपुर नगर निगम का मुख्यालय ही नि:शक्तजनों के लिए ‘सुगम’ नहीं है। व्हीलचेयर, रैम्प, शौचालय ही सुविधाजनक नहीं होने के कारण यहां पानी, बिजली, सफाई जैसी समस्याओं के समाधान के लिए आने वाले नि:शक्तजन शिकायतकर्ता खुद ‘समस्या’ में उलझ जाते हैं। वहीं नि:शक्तजन रोजगार कार्यालय में रोजगार मांगने पर सलाह की जगह धक्के मिले। पेश है अहसास अभियान में सरकारी दफ्तरों के हालात की दूसरी कड़ी।

ऐसे किया स्टिंग

घर के बाहर सीवरेज की सफाई करवाने, जन्म प्रमाणपत्र बनवाने के बहाने नि:शक्तजनों के साथ टीम निगम गई। विद्यार्थियों को रोजगार कार्ड के लिए पंजीयन एवं सुविधाओं की जानकारी के लिए नि:शक्तजन रोजगार कार्यालय गए। यहां भी उन्हें धक्के खाने पड़े।

वालंटियर्स टीम

टीम 1 : दृष्टिबाधित प्रतीक अग्रवाल, अस्थि विकलांग भंवर लाल और मूक बधिर अनिल सासी।
टीम 2 : दीपेश अरोड़ा, स्नातक कर चुके ऑटिज्म अक्षय भटनागर।

जिम्मेदारों का जवाब
…पैर नहीं तो, हाथों से चला जा

 केस 1. कब : 24 सितंबर, दोपहर 2 बजे कहां : टोंक रोड स्थित जयपुर नगर निगम का मुख्यालय
दृश्य 1
जयपुर नगर निगम मुख्यालय भवन के प्रवेश द्वार पर गार्ड तैनात है। यहां मुख्य द्वार के अगल बगल दो रैम्प बने हैं लेकिन हैंडरिल नहीं है और यहां मौजूद गार्ड कहता है कि इस पर कोई नहीं जाता, आप ही देख लो खुद, कोई जा सकता है क्या? इस बीच भंवर लाल व्हीलचेयर के लिए गार्ड से जद्दोजहद करता है।

भंवर : भाई साहब.. मुझे व्हीलचेयर चाहिए। घर के सामने सीवरेज का पानी बह रहा है…उसकी शिकायत करनी है।

गार्ड : व्हीलचेयर नहीं है। तेरे पैर नहीं हैं तो हाथों पर चलकर जा।

दृश्य 2
विनती करने पर महिला गार्ड उन्हें लिफ्ट से ऊपरी मंजिल पर मालवीय नगर इलाके की समस्याओं का निदान करने वाले अधिकारी से मिलवा देती है। अधिकारी से भंवर की बात

अधिकारी : बताइए, क्या काम है? यहां तक बिना व्हीलचेयर के आना पड़ा आपको?

भंवर: सर, कई बार मांगने के बाद भी नहीं मिली।

अधिकारी: मुझे नीचे बुलवा लेते या फोन कर लेते।

भंवर : सर, आपका मोबाइल नंबर नहीं है मेरे पास। कैसे बुलवाता?

अधिकारी: चलो अपनी समस्या बताओ।

भंवर: सर, मेरे घर के सामने सीवरेज का पानी बहता है। उसे ठीक करवाना है।

अधिकारी: (पता लेकर)…ठीक है। संबंधित अधिकारी को ठीक करने के लिए बोलूंगा। आप जाइए काम हो जाएगा।

दृश्य 3
नागरिक सहायता केन्द्र कांउटरकर्मी से बात
प्रतीक : कांउटर नंबर 3 यही है क्या? यहां कोई है?

कर्मचारी: हां, बोलिए? क्या काम है?

प्रतीक : जन्म प्रमाण पत्र बनवाना था। कहां बनेगा और कैसे?

कर्मचारी : पहले लाइन में लगो फिर जब नंबर आए तब बात करना।

प्रतीक: यहां नि:शक्तजनों के लिए अलग से कोई लाइन है क्या?

कर्मचारी: जो कह रहा हूं वो करो।

प्रतीक : फार्म तो दे दो।

लाइन में प्रतीक दो बार गिर गए। घंटे भर लाइन में लगने के बाद जन्म प्रमाण पत्र का आवेदन फार्म मिला।

बर्ताव
निगम के अधिकारी ने जरूर सलीके से बात की और निशक्तजनों की परेशानी सुनी और आश्वासन भी दिया। महिला गार्ड का व्यवहार अच्छा था उसने निशक्तजन को अधिकारी तक पहुंचने में मदद की।

दोनों दफ्तर इसलिए हुए फेल
1. जयपुर नगर निगम
 भवन के प्रवेश द्वार के दोनों तरफ से रैंप है लेकिन उसमें हैंडरिल नहीं है। इस वजह से नि:शक्तजन गिर जाते हैं। शौचालय में निशक्तजनों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। नल की टोटियां भी टूटी पड़ी हैं। व्हीलचेयर नहीं है। लिफ्ट का इस्तेमाल भी गार्ड की मदद से ही किया जा सकता है। नागरिक सहायता केन्द्र पर निशक्तजनों के लिए अलग से लाइन नहीं है। मूकबधिर के लिए इंटरप्रिटर की व्यवस्था नहीं है।

2. नि:शक्तजन रोजगार कार्यालय
 लकड़ी का रैम्प टूटा है। शौचालय निशक्जनों के लिए सुविधाजनक नहीं है। इंटरप्रिटर नहीं है। व्हील चेयर के मानक व्हील चेयर यूजर अकेले बिना किसी सहारे के हर जगह जा सके। दरवाजों का प्रवेश द्वार 900 मिमी का हो। चौखट 12 मिमी से अधिक नहीं उठा हो। चलने के लिए रास्ते की चौड़ाई 1200 मिमी होनी चाहिए। रास्ते में मैनहोल नहीं हो। चेयर पर बैठे व्यक्ति के लिए फर्श की ऊं चाई 1190 मिमी हो।- (स्रोत : सीपीडब्ल्यूडी)

ई-मित्र पर जाओ, यहां कुछ नहीं हो पाएगा
केस.2
कब : 15 अक्टूबर, दोपहर 2 बजे।
कहां : नि:शक्तजन रोजगार कार्या., बापू नगर
दृश्य 1
नि:शक्तजन रोजगार कार्यालय में लकड़ी का टूटा हुआ अस्थायी रैम्प है। जिस पर चढऩा खतरे से खाली नहीं। ऐसे में नि:शक्तजन गिरते पड़ते सीढिय़ों के जरिए अधिकारियों तक पहुंचे। जिला रोजगार अधिकारी हनुमान सहाय मीना से प्रतीक की बातचीत।

प्रतीक : मुझे रोजगार के लिए रजिस्टे्रशन करवाना है। कैसे होगा।

लिपिक : हां जी, आइए। क्या है बताइए? सर से बात करो।

प्रतीक : कौन सर.. किधर हैं। नमस्कार सर, मुझे रोजगार के लिए जॉब कार्ड बनवाना है।

अधिकारी : ई मित्र पर जाओ। यहां कुछ नहीं होता है।

इसी दौरान ई मित्र वाला आ जाता है और प्रतीक को लेकर जाता है।

दृश्य 2
दीपेेश अरोड़ा की जिला रोजगार अधिकारी से बातचीत

दीपेश : (साइन लैग्वेज में) मुझे नौकरी के लिए पंजीकरण करवाना है।

अधिकारी : क्या कह रहे हो? मुझे तुम्हारी भाषा समझ नहीं आ रही। (कॉपी और कलम देते हुए) लिखकर बताओ।

दीपेश : (साइन लैग्वेज में) मुझे मेरी भाषा में ही बताओ।

अधिकारी : अरे मुझे समझ नहीं आ रहा.. जाओ यहां से।

अधिकारी के जोर से डांटकर भगाने पर दीपेश वहां से लौट जाता है।

दृश्य 3
रोजगार कार्यालय में अधिकारी से अक्षय भटनागर की बातचीत
अक्षय : मुझे नौकरी कब मिलेगी?

अधिकारी : पंजीकरण करवाया है?

अक्षय : (रोजगार कार्ड दिखाते हुए) हां, तीन साल हो गए। लेकिन नौकरी का ऑफर तक नहीं आया।

अधिकारी : इस कार्ड की अवधि समाप्त हो गई है। ई मित्र पर जाओ। नया कार्ड बनवाओ।

अक्षय : लेकिन मुझे तीन साल में नौकरी ऑफर क्यों नहीं आया?

अधिकारी : साल भर में केवल 5 से 10 वेकेंसी आती हैं। वो भी नियमित नहीं। प्राइवेट कंपनियां अक्षम लोगों को नौकरी नहीं देती।

अक्षय : सरकार मुझे नौकरी देगी?
 
अधिकारी : सरकार से पूछो, मुझे क्या पता।

अक्षय : स्नातक हूं, डेटा फीडिंग आती है। कोई तो जॉब होगी मेरे लिए।

अधिकारी : मैंने कहा ना…सरकार से पूछो।

अक्षय निराश होकर लौट जाता है।

बर्ताव
कर्मचारी से लेकर अधिकारी किसी ने सीधे मुंह बात नहीं की। टालने वाला रवैया था। सुविधाओं की कमी के साथ अधिकारियों – कर्मचारियों के व्यवहार से आहत होकर सभी निशक्तजन लौट जाते हैं।

पाठक प्रतिक्रिया
– हमें परीक्षा देने जाने में ऐसी ही तकलीफ होती है। हमारे लिए काम के ज्यादा अवसर तैयार किए जाने चाहिए। – बदलू राम, निशक्तजन

– नि:शक्तजनों के हित के लिए चलने वाली सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जाए। जिसका लाभ हम ले सकें।- अशोक मीणा, अलवर
– नि:शक्तजनों को कोई सुविधा नहीं मिल रही है। आम लोगों में भी हमारे लिए जागरुकता की आवश्यकता है। – रामसिंह गुर्जर, टोंक

– मेरे पास ट्रायसाइकिल है लेकिन खराब होने से परेशानी होती है। मुझे नई ट्रायसाइकिल चाहिए।- बलदेव प्रजापति,
आमेर, जयपुर

– निशक्तजन मजदूरों की भी सरकार को सोचना चाहिए। पेंशन की राशि बढ़ाई जाए।- रमेश सिंह, जोबनेर, जयपुर
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