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कोलकाता

दुर्गापूजा- कहीं लोक कथा तो कहीं पट्टचित्र, कहीं पूजा सामग्री पर आधारित हैं पण्डाल

पश्चिम बंगाल की विश्व प्रसिद्ध दुर्गा पूजा में नई नई थीम को प्रस्तुत किया जाता है। 

कोलकाताOct 08, 2015 / 10:26 pm

Paritosh Dube

durga puja theme

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कोलकाता 
पश्चिम बंगाल की विश्व प्रसिद्ध दुर्गा पूजा महज पूजा नहीं है, हमारी परम्परा, हमारी रचनात्मकता, हमारी लोक साहित्य-कला और वर्तमान समस्याओं को उजागर करने का जरिया भी है। पूजा के साथ नई नई थीम को प्रस्तुत किया जाता है। पूजा की धूम चतुर्थी से ही शुरू हो जाती है। पूजा के दौरान विविध आयामों को देखने को मिलता है। 
पाथुरियाघाटा पांचेर पल्ली में इस बार लोक कथा चांद सरदार पर आधारित पण्डाल सजाया जा रहा है। पानी के जहाज बनाए जा रहे हैं। बड़े जहाज में देवी विराजमान होंगी। चांद सरदार एक पौराणिक कहानी है। कहानी के मुताबिक चांद सरदार मां दुर्गा की तलाश में सात समुन्दर पार करते हुए, सारी कठिनाइयों से लड़ते हुए मां दुर्गा को पाता है। वैसे ही आज का युवा समाज हताशा, आत्महत्या और उदासीनता को त्यागकर पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़े तो हर असम्भव काम भी सम्भव हो जाएगा। यह प्रेरणा देने के लिए पण्डाल बनाया जा रहा है। इसको साकार करने में सौरभ, सुबीर, राय इलेक्टिक व तोतन आदि जुटे हैं। समुद्र रूपी पंडाल तैयार किया जा रहा है। साथ ही वैसा ही माहौल बनाया जा रहा है। 
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कांकुडग़ाछी सावर्जनिक दुर्गात्सव युवक वृन्द 
वृन्द की ओर से इस बार पूजा सामग्री पर आधारित पण्डाल को तैयार किया जा रहा है। पण्डाल घट के आकार है। प्रवेश करते वक्त लगेगा कि हम एक घट के अन्दर प्रवेश कर रहे हैं। वहीं पर शंख, घंटा, कमलदल, सिउली फूल, अल्पना आदि की सजावट की जा रही है। पण्डाल के अन्दर की छत को घंटी से बहुत ही खूबसूरत बनाया जा रहा है। दीवारों पर घंटा को श्लोक व प्रकाश के साथ ही अनोखा रूप दिया जा रहा है। 
इसको देखने का आनन्द ही कुछ और होगा क्योंकि पूजन सामग्री को इस तरह से भी सजाया जा सकता है इसकी सिर्फ कल्पना की जा सकती है। अनिर्वाण की ओर से इसकी सजावट की जा रही है वहीं नव पाल की ओर से प्रतिमा तैयार की जा रही है। प्रकाश सज्जा आशीष साहा कर रहे हैं। 
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कमेटी की कलात्मक पूजा 
सम्मिलित लालाबागान सार्वजनिक श्रीश्री दुर्गोत्सव पूजा कमेटी लाला बागान मैदान की ओर से बहुत ही कलात्मक पूजा की तैयारी है। इसमें सौन्दर्य के साथ ही आधुनिकता की दौड़ में खो रही परम्परा को युवा वर्ग के सामने लाने का प्रयास किया गया है। यह पूरा पण्डाल सिल बट्टे से सजाया जा रहा है। नीचे में पत्थर के सिल बट्टे रखे गए हैं वहीं पण्डाल के ऊपरी भाग पर थर्माकोल से सिल बट्टे को बनाया जा रहा है। आयोजकों का कहना है कि आधुनिक दौर में सिल बट्टे और हाथ पंखे की प्रासंगिकता को दर्शाने का प्रयास है। अब ये घरों से गायब होते जा रहे हैं। इसलिए युवा वर्ग को इसके महत्व से रूबरू करने के लिए इस तरह का पण्डाल बनाया जा रहा है। इसमें मां दुर्गा की गोद में उसके बच्चे और बच्चों की गोद में उनके वाहन होंगे जो बहुत ही आकर्षक होंगे। इसकी मूल भावना पार्थ रंजन घोष की तथा प्रतिमा विभाष बनर्जी की है। रोशनी व ध्वनि सुदर्शन की जबकि इलेक्ट्रिक्स और संगीत सौरभ घोष का है। 
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लालाबागान नवांकुर संघ 
लालाबागान नवांकुर संघ की ओर से बंगाल की लोक कला पट्ट चित्र पर आधारित पंडाल बनाया जा रहा है। पूरा पण्डाल पट्ट चित्र के साथ पौराणिक कहानियों को दर्शाएगा। माटी के कलश से भी पण्डाल को कलात्मक रूप प्रदान करने की कोशिश की जा रही है। मूर्तियां भी कलात्मक होंगी। आयोजकों का कहना है कि पट्ट चित्र बंगाल की लोक कला का अद्भुत नमूना है। इसकी मांग दुनिया भर में है, पर इसे बनाने वालों को सही मूल्य और सम्मान नहीं मिलता है। हम उनकी कला को सभी के सामने लाने का प्रयास कर रहे हैं।
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