सदानंद गौड़ा को मिली राहत
बैंगलोरPublished: Nov 27, 2015 07:04:00 pm
सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया हाईकोर्ट का आदेश भूखंड आवंटन निरस्त करने का मामला
बेंगलूरु.नई दिल्ली. केंद्रीय विधि मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली। शीर्ष अदालत ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें नियमों के कथित उल्लंघन के कारण गौड़ा और एक अन्य भाजपा विधायक को आवंटित की गई भूमि पर निर्मित पांच मंजिला व्यवसायिक इमारत को ढहाने और भूखंड का आवंटन रद्द करने का आदेश दिया गया था।
जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गौड़ा और पूर्व मंत्री डी एन जीवराज की याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के 19 अक्टूबर 2012 के आदेश को रद्द कर दिया। जस्टिस लोकुर और जस्टिस एस ए बोबडे की पीठ ने कहा कि हम महसूस करते हैं कि कर्नाक उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया निष्कर्ष कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है..अपील मंजूर की जाती हैं।
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि भूखंड पर किया गया निर्माण पट्टा समझौते (लीज एग्रीमेंट) के नियम एवं शर्तों का उल्लंघन है। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में बीडीए को गौड़ा और जीवराज के खिलाफ दो आवंटित भूखंडों पर पट्टा समझौते के अनुरूप अलग रिहायशी संरचना के बजाय एक एकीकृत भवन बनाने के मामले में कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। उच्च न्यायालय ने बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) द्वारा गौड़ा व जीवराज के भूखंड पर निर्माण के लिए स्वीकृत की गई योजना को भी खारिज कर दिया था। उच्च न्यायालय ने बीडीए को दोनों को आवंटित भूखंड वापस लेने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने गौड़ा और जीवराज की याचिका पर सुनवाई करते हुए 2 जनवरी 2013 को हाईकोर्ट के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। इस मामले की सुनवाई करने के बाद 29 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
क्या था मामला
बेंगलूरु विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने मुख्यमंत्री के विवेकाधीन कोटे के तहत गौड़ा को शहर के एचएसआर (होसूर-सर्जापुर रोड) ले-आउट इलाके में 20 अक्टूबर 2006 को भूखंड आवंटित किया था। उस वक्त गौड़ा विधानसभा में विपक्ष के उपनेता थे। गौड़ा के भूखंड के पास ही भाजपा के ही नेता डी एन देवराज को भूखंड आवंटित किया गया था। गौड़ा और देवराज ने दोनों भूखंडों को मिलाकर वहां पर एक पांच मंजिला व्यवसायिक इमारत बना लिया। यह मामला गौड़ा के मुख्यमंत्री बनने के बाद सामने आया था। महिला सामाजिक कार्यकर्ता के. जी. नागलक्ष्मी बाई ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर गौड़ा और जीवराज को मिले भूखंड आवंटन रद्द करने की मांग की थी।