`स्वधार गृह` योजना करेगी महिलाओं का विकास
योजना का उद्देश्य कठिन परिस्थितियों में पीडि़त महिलाओं के लिए सहायक संस्थागत फ्रेमवर्क तैयार करना है
चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने `स्वधार गृह` नामक योजना को स्वीकृति प्रदान की है। इस योजना का उद्देश्य कठिन परिस्थितियों में पीडि़त महिलाओं के लिए सहायक संस्थागत फ्रेमवर्क तैयार करना है ताकि वे दृढ़ विश्वास व गरिमा के साथ अपना जीवनयापन कर सकें।
जानकारी देते हुए आज यहां हरियाणा महिला एवं बाल विकास मंत्री कविता जैन ने बताया कि इस योजना के तहत ऐसी महिलाओं को शैल्टर, खाद्य, कपड़ा और स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी। इस योजना का उद्देश्य यह भी है कि विपरीत परिस्थितियों में महिलाओं की विशेष देखभाल की जरूरत को देखते हुए उनकी देखरेख की जाएगी और किसी भी महिला को देखभाल के मामले में छोड़ा नहीं जाएगा, जिसके कारण वे शोषण और अकेलेपन की शिकार हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत 30 महिलाओं की क्षमता के स्वधार गृह प्रत्येक जिलों में स्थापित किए जाएंगे, जिसमें प्राथमिक जरूरतों जैसेकि शैल्टर, खाद्य, कपड़ा, चिकित्सा उपचार और विपत्ति के समय महिलाओं की देखभाल, जो सामाजिक और आर्थिक सहायता के बिना है, की सुविधा होगी। यह स्वधार गृह ऐसी पीडि़त महिलाओं के लिए उनकी भावना को मजबूत करेंगे, जिनकी दुर्भाग्यपूर्ण स्थितियों में भावनाएं आहत हुई हैं और ऐसी महिलाओं को कानूनी सहायता और मार्गदर्शन भी मुहैया करवाया जाएगा ताकि वे अपने परिवार और समाज की मुख्य धारा में आ सकें। यह स्वधार गृह ऐसी महिलाओं को आर्थिक और भावनात्मक रूप से पुनर्स्थापित करेंगे और सहायक प्रणाली के तौर पर कार्य करेगा ताकि विपत्ति में आई महिलाओं की जरूरतों को समझते हुए उनकी समस्याओं का निपटान हो सकें।
मंत्री ने बताया कि बड़े शहरों और अन्य जिलों जहां 40 लाख से अधिक की आबादी है तथा जिन जिलों में महिलाओं को अतिरिक्त सहायता चाहिए, वहां एक से अधिक स्वधार गृह स्थापित किए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि आवश्यकतानुसार इन स्वधार गृहों की क्षमता को 50 या 100 महिला तक तथा अन्य मापदण्डों को भी बढ़ाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि इस योजना का लाभ 18 वर्ष से अधिक की महिलाएं ले सकती है। उन्होंने बताया कि इस योजना में उन महिलाओं को कवर किया जाएगा, जो अकेली हैं और बिना किसी आर्थिक और सामाजिक सहायता के हैं। प्राकृतिक आपदाआें से पीडि़त महिलाएं जिनके पास घर नहीं है और बिना किसी आर्थिक और सामाजिक सहायता के हैं। जेल से छूटी हुई महिला कैदी महिला और जिनका परिवार नहीं है तथा बिना किसी आर्थिक और सामाजिक सहायता के हैं। घरेलू हिंसा की पीडि़त महिलाएं, जिन्होंने पारिवारिक कलह की वजह से बिना किसी कारण के अपना घर से छोड़ दिया है। वेश्यालयों व अन्य स्थानों से भागी हुई और बचाई गई महिलाएं व लड़कियां जो शोषण का शिकार हैं और एचआईवी एड्स से पीडि़त हैं तथा बिना किसी आर्थिक और सामाजिक सहायता के हैं, को यह स्वधार गृह सहायता मुहैया करवाएगा।
जैन ने बताया कि घरेलू हिंसा से पीडि़त महिलाएं स्वधार गृह में एक साल तक ठहर सकती हैं और अन्य श्रेणियों में महिलाएं तीन वर्ष तक स्वधार गृह में ठहर सकती हैं। इसी प्रकार, 55 वर्ष आयु से अधिक की महिलाएं अधिकतम 5 वर्ष तक ठहर सकती हैं। इसके पश्चात उन्हें वृद्घा आश्रम या इसके समान संस्थान में स्थानान्तरित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्वधार गृह में उपरोक्त श्रेणियों की महिलाओं के बच्चों के लिए भी सुविधाएं होंगी, जिसमें 18 वर्ष तक की लड़की और 8 वर्ष तक के लड़के को उनकी माताओं के साथ रहने की स्वीकृति होगी।
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