हरियाणा के सुनपेड गांव में गत 20 अक्टूबर को एक दलित परिवार के घर में आग लगाकर दो बच्चों की हत्या मामले में हरियाणा के फोरेंसिक विशेषज्ञों को अपनी जांच में पता चला है कि आग कमरे में से उठी थी न कि बाहर से किसी ने लगाई थी। हरियाणा के फोरेंसिक विशेषज्ञों का निष्कर्ष है कि ‘आग का मूल शुरुआत और स्रोत कमरे के भीतर से थी न कि बाहर से आई थी।‘
दिल्ली से प्रकाशित एक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार हरियाणा के फोरेंसिक विशेषज्ञों को कमरे से जले हुए बिस्तर के नीचे से आधी जली केरोसिन की प्लास्टिक बोतल, कमरे की खिड़की पर बनी पटरी पर जली हुई माचिस की तीली मिली है। विशेषज्ञों का कहना है कि बाहर से किसी हमलावर के आने का कोई निशान नहीं मिला है।
दो कमरों को जोडऩे वाला रास्ता इतना बड़ा नहीं है कि लोग आराम से जा सकें। खिड़की जिसके जरिए पेट्रोल कमरे के भीतर फेंका गया, बंद थी। टीम में फोरेंसिक साइंस लेबोरटरी के निदेशक, एफएसएल के फिजिक्स और कैमिस्ट्री विभाग के सहायक निदेशक आदि शामिल थे। इन लोगों का एकमत से विचार है कि आग ‘कमरे के भीतर‘ से ही लगी थी। एफएसएल अपनी रिपोर्ट इसी सप्ताह सीबीआई को सौंप देगा।
उल्लेखनीय है कि मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी। सीबीआई टीम फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स के साथ गांव पहुंची थी। आरोप लगाया गया था कथित तौर पर उच्च जाति के राजपूत लोगों ने दलित के घर में आग लगा दी थी, जिसमें ढाई साल के वैभव और 11 महीने की दिव्या की मौत हो गई थी।
बच्चों की 28 वर्षीया मां भी जली हुई हालत में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रही है। बच्चों के पिता भी कई जगह से झुलसे हुए हैं। दलित परिवार के मुखिया जितेंद्र की पत्नी रेखा ने पुलिस को दिए बयान में कहा था कि कुछ लोग बाहर से आए और उन्होंने पेट्रोल डालकर उनके घर में आग लगा दी।
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