घटिया सामग्री और निर्माण कार्य की गुणवत्ता को लेकर रामानुजनगर क्षेत्र
में उठ रहे सवाल, कार्रवाई के नाम पर अधिकारियों द्वारा किया जा रहा
दिखावा, निर्माण एजेंसी लगे अपनी जेबें भरने में
toilet
रामानुजनगर. जिला प्रशासन द्वारा ओडीएफ का लक्ष्य प्राप्त करने निर्धारित की गई 25 अक्टूबर तक की समयावधि में पंचायतों द्वारा शौचालय के निर्माण कार्य में तत्परता तो बरती जा रही है। लेकिन इस तत्परता में न तो शौचालय की गुणवता का ध्यान रखा जा रहा है और न ही उपयोग में लाई जाने वाली निर्माण सामग्री की क्वालिटी का ही ध्यान रखा जा रहा है। परिणाम स्वरूप ओडीएफ के चक्कर में अमानक स्तर के शौचालय बन जाने के बाद भी ये उपयोगी साबित होगें, इसमें संदेह है।
गौरतलब है कि स्वच्छ भारत मिशन एवं रोजगार गारंटी योजना के तहत रामानजुनगर जनपद क्षेत्र के 73 ग्राम पंचायतों को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए 21 हजार 825 शौचालय बनाने का लक्ष्य निर्धारित कर जिम्मेदारी पंचायतों को दी गई है।
प्रशासनिक स्तर पर पूर्व में 2 अक्टूबर और फिर बाद में 25 अक्टूबर तक शत-प्रतिशत घरों में शौचालय बनाने के लिए जनपद द्वारा समस्त प्रशासनिक अमले को इस कार्य में झोंक दिया गया है।
निर्धारित समयावधि में सभी पंचायतों को ओडीएफ करने सम्पूर्ण ताकत लगा देने वाले जिम्मेदार आधिकारियों द्वारा यह भी नही देखा जा रहा है कि निर्माण के दौरान प्रयुक्त सामग्री उपयोग के लायक है या नहीं।
एक शौचालय तोड़कर की गई दिखावे की कार्यवाही रामानुजनगर क्षेत्र में बन रहे शौचालयों में से अधिकांश शौचालय मानक स्तर के नहीं हैं। कही सतह से नीचे कम ईटों की जोड़ाई की गई है तो कही शौचालय की ऊंचाई कम है। इतना ही नहीं प्राक्कलन के अनुरूप दरवाजे भी नहीं लगाए जा रहे हैं। कहीं प्लाई के दरवाजे तो कहीं लोहे के दरवाजे लगे है। कहीं दरवाजों की चौड़ाई 2 फीट है तो कहीं 2.6 फीट।
शौचालय के घटिया निर्माण की शिकायत पर ग्राम पतरापाली में रामलाल यादव के घर बने शौचालय को बुधवार को जांच के लिए पंहुची अधिकारियों की टीम ने तोड़ दिया। जब ऐसी शिकायतों की भरमार हो, ऐसे में एक शौचालय तोड़कर प्रशासन द्वारा की गई दिखावटी कार्रवाई समझ से परे है।
निर्धारित मापदंड़ को किया गया दरकिनार निर्धारित अवधि में शत प्रतिशत घरों मे शौचालय का निर्माण करते वक्त पंचायत के जिम्मेदार प्रतिनिधि और संलग्न शासकीय सेवक उपयोग हो रहे निर्माण सामग्री और निर्माण की प्रक्रिया की अनदेखी कर रहे हंै। आनन-फानन में ईंट, सीमेन्ट, दरवाजे, सीट समेत अन्य निर्माण सामग्री क्रय कर उपयोग किया जा रहा है इस कार्य में निर्माण एजेंसी द्वारा उच्च क्वालिटी की बजाय अपनी जेबें भरने का ज्यादा ख्याल रखा जा रहा है।
उपयोग में लाई जा रही फ्लाई एस ईंटों का आलम यह है कि उसे निर्माण के बाद जरूरत अनुसार सूखने का भी अवसर नही मिल रहा है। मशीन से निकलते ही ईंटें पंचायतों में शौचालय निर्माण हेतु पंहुच जा रही हैं। कमिशन के चक्कर में अन्य निर्माण सामग्री भी घटिया स्तर की खपाई जा रही है।
जांच में मिली है अनियमितता प्राक्कलन के विपरित घटिया निर्माण की शिकायत पर पतरापाली में रामलाल यादव के यहां बने शौचालय की जांच की गई। नींव की खुदाई में मात्र 8 ईंच यानि दो ईटों की जोड़ाई की गई थी। जबकि न्यूनतम तीन ईंट यानि 12 ईंच तक की गहराई में जोड़ाई किया जाना था। अनियमितता पाए जाने पर उक्त शौचायल को तोड़ दिया गया है। जीएस सिदार, एसडीओ, आरईएस रामानुजनगर