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यहां Medical College तो खोल दिया लेकिन इन परेशानियों का क्या…

locationसरगुजाPublished: Oct 20, 2016 10:16:00 am

Submitted by:

Pranayraj rana

मेडिकल कॉलेज के टीचिंग स्टाफ में प्रबंधन के रवैय्ये को लेकर बढ़ता जा
रहा है आक्रोश, वादे के मुताबिक न सैलरी मिल रही है और न ही भवन किराया,
कई डॉक्टर नौकरी छोडऩे के मूड में

Medical college

Medical college

अंबिकापुर. मेडिकल कॉलेज खोले जाने के पूर्व डाक्टरों की नियुक्ति पर भारी-भरकम वेतन दिए जाने का वादा कॉलेज प्रबंधन द्वारा किया गया था। लेकिन अब पूरा वेतन देने में प्रबंधन आनाकानी कर रहा है। फिलहाल डाक्टरों को सिर्फ शासन द्वारा दिए जाने वाला वेतन ही मिल रहा है।

जबकि स्वशासी मद की शेष राशि का भुगतान पिछले चार माह से किया ही नहीं गया है। कई चिकित्सक नौकरी छोडऩे का भी मन बना चुके हैं। यदि ऐसा होता है तो कॉलेज में पढऩे वाले विद्यार्थियों के भविष्य पर भी असर पड़ेगा।

मेडिकल कॉलेज के द्वितीय वर्ष की मान्यता के लिए कुछ दिनों बाद एमसीआई की टीम निरीक्षण पर पहुंच सकती है। लेकिन कॉलेज की जो स्थिति है उससे ऐसा कहीं से नहीं लगता है कि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वितीय वर्ष की मान्यता को लेकर ज्यादा चितिंत नजर आ रहा है।

कॉलेज शुरू हुए अभी 4 माह ही हुए हैं और कॉलेज प्रबंधन के रवैय्ये से वहां के टीचिंग स्टाफ परेशान है। कॉलेज की मान्यता के लिए एमसीआई को सब कुछ चकाचक दिखाने के लिए प्रबंधन द्वारा संविदा पर प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर व ट्यूटर की नियुक्ति की गई थी। नियुक्ति पत्र जब जारी किया गया था उसमें भारी भरकम वेतन का जिक्र किया गया था।

नियुक्ति पत्र में वेतन के संबंध में यह भी जिक्र नहीं किया गया था आधा शासन द्वारा दिया जाएगा और आधा कॉलेज के स्वशासी मद से दिया जाएगा। लेकिन जब टीचिंग स्टाफ के खाते में वेतन आया तो उन्हें सिर्फ शासन द्वारा जारी किया गया आधा वेतन प्राप्त हुआ। इसे लेकर कॉलेज के टीचिंग स्टाफ में काफी असंतोष है।

उन्होंने कई बार इस संबंध मे कॉलेज के डीन से भी चर्चा की। डीन ने चिकित्सकों को बताया कि वेतन का आधा राशि शासन द्वारा दिया जाना है आधा राशि कॉलेज के स्वशासी मद से दिया जाना है।

किराया भुगतान करने से किया इंकार
मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों की नियुक्ति के समय उन्हें भवन किराया दिए जाने का भी वादा किया गया था। इसके लिए कॉलेज प्रबंधन द्वारा सत्तीपारा स्थित एक कॉलोनी के संचालक से अनुबंध भी किया गया था। कॉलोनी के मकान में सात चिकित्सकों को किराया पर भवन दिया गया था। इसके लिए 14 हजार रुपए किराया तय किया गया था।

चिकित्सकों से यह कहा गया था कि उन्हें सिर्फ बिजली बिल, मेंटेनेंस व 2000 रुपए का भुगतान करना होगा। लेकिन जब किराया देने का समय आया तो कॉलेज प्रबंधन ने साफ इनकार कर दिया। किराया को लेकर मकान मालिक आए दिन चिकित्सकों से बहस की जा रही है और उन्हें किराया नहीं देने पर मकान खाली करने को कहा जा रहा है।

जनप्रतिनिधियों को आना होगा सामने
दोनों ही राजनीति दल के जनप्रतिनिधि पूरी तरह से मेडिकल कॉलेज को वहां के प्रबंधन के भरोसे छोड़ दिया गया है। इसकी वजह से कॉलेज प्रबंधन मनमानी पर उतारू है। अगर इस मामले में हस्तक्षेप नहीं किया गया तो , मेडिकल कॉलेज सिर्फ छलावा बनकर न रह जाए।

पहले किया नियुक्त अब निकालने दे रहे नोटिस
कॉलेज खोले जाने के समय प्रबंधन व शासन द्वारा डाक्टरों की नियुक्ति संविदा पर की गई थी। लेकिन अब उन्हें नोटिस देकर बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। चिकित्सकों कों जो नोटिस जारी किया जा रहा है उसमें मौखिक निर्देश का हवाला दिया जा रहा है। अच्छी-खासी वेतन देख उत्तराखंड, राजस्थान, बिहार व महाराष्ट्र के कई चिकित्सकों ने अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में पदभार ग्रहण किया था।

सीधी बात- डा. अशोक चंद्रकार डीएमई
प्रश्न – टीचिंग स्टाफ को पूरा वेतन नहीं मिल रहा है?
उत्तर- अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के स्वशासी मद में एक रुपए नहीं है। लेकिन इसकी बात की जा रही है और वेतन नहीं मिला है तो मिल जाएगा।
प्रश्न- नियुक्ति के समय भवन किराया दिए जाने की बात कही गई थी, लेकिन भुगतान नहीं किया जा रहा है?
उत्तर- भवन किराया नहीं दिया जाएगा। इस संबंध में शासन से स्वीकृति लेनी पड़ती है।
प्रश्न- संविदा में नियुक्त डाक्टरों को निकाला जा रहा है?
उत्तर- पैथोलॉजी विभाग में एक नियमित चिकित्सक के नियुक्ति का प्रावधान है। नियमित चिकित्सक की नियुक्ति कर ली गई है और एक पद के विरूद्ध तीन चिकित्सकों की पदस्थापना की गई है। दो चिकित्सकों को निकाला जाएगा।
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