scriptकेरल में है पैगंबर मोहम्मद के समय की मस्जिद, जाते हैं गैर-मुस्लिम भी | Cheraman Perumal Mosque: Kerala has India first mosque built while Pagamber was alive | Patrika News

केरल में है पैगंबर मोहम्मद के समय की मस्जिद, जाते हैं गैर-मुस्लिम भी

Published: Jul 20, 2015 03:37:00 pm

चेरामन जुमाह मस्जिद
भारत ही नहीं, बल्कि इस उपमहाद्वीप की सबसे पुरानी मस्जिद तो है ही साथ ही यह हजरत
मुहम्मद के समय की है

Cheraman perumal mosque - Indias first muslim mosq

Cheraman perumal mosque – Indias first muslim mosque

कोच्चि से 30 किलोमीटर दूर इस छोटे शहर में खड़ी चेरामन मस्जिद को यूं तो देखने में कुछ असामान्य नहीं लगता। परन्तु जब आप वहां के निवासियों से बात करते हैं तो आपके इतिहास की अनूठी जानकारी मिलने के साथ मस्जिद की खासियत का अहसास होता है।

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कोडुंगलुर या क्रैंगनोर नामक इस शहर की चेरामन जुमाह मस्जिद भारत ही नहीं, बल्कि इस उपमहाद्वीप का सबसे पुरानी मस्जिद तो है ही साथ ही यह हजरत मुहम्मद के समय की है। इसका निर्माण 629 ईस्वी में अरब के इस्लाम धर्म प्रचारक मलिक इबन दीनार ने कराया था। इस मस्जिद से यह भी पता चलता है कि इस्लाम का देश में प्रवेश मुगलों से बहुत पहले हो चुका था। दूसरा यह भी पता चलता है कि मुस्लिमों को स्थानीय लोगों का पूरा संरक्षण भी प्राप्त था, जो आज भी इस जगह देखा जा सकता है।



मुजिरिस के नाम से भी प्रचलित इस शहर में दो और चीजें खास महत्व की हैं। पहला है सेंट थॉमस चर्च, जिसे ईसा मसीह के प्रथम 12 शिष्यों में से एक ने खुद ही बनवाया था, जब वह यहां 52 ईस्वी में आए थे। दूसरा है चेर साम्राज्य के शासक चेंगुट्टवन (अन्य नाम वेल केलु कुट्टुवन) द्वारा करीब 150 ईस्वी में बनवाया गया भगवती मंदिर।



कई गैर-मुस्लिम भी इस मस्जिद में श्रद्धा रखते हैं और अपने बच्चों का विद्यारंभ संस्कार करने इस मस्जिद में आते हैं। रमजान के दौरान अन्य धर्मावलंबी इफ्तार तैयार करते हैं। कहते हैं कि चेर वंश के आखिरी शासक चेरामन पेरूमल के संरक्षण में मस्जिद बनाया गया था। चेरामन पेरूमल के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने मक्का में पैगंबर से मिलने के बाद राज्य त्याग दिया था और इस्लाम अपना लिया था।

भारत वापस लौटने के क्रम में ओमान के धुफार में किसी बीमारी से मरने से पहले उन्होंने जिन स्थानीय क्षत्रपों को राज्य सौंपा था, उन्हें एक पत्र लिखकर अरब से आने वाले कुछ व्यापारियों को सभी प्रकार की मदद करने का अनुरोध किया था।



इन्हीं व्यापारियों में से एक था मलिक इबन दीनार, जिन्हें स्थानीय क्षत्रप ने कई मस्जिद बनवाने की अनुमति दी थी। इसलिए मस्जिद को चेरामन मस्जिद कहा जाता है। मलिक इबन दीनार पैगंबर के साथी भी थे। वह इस मस्जिद के पहले गाजी थे। उनके बाद उनके भतीजे हबीब बिन मलिक ने यह जगह ली। हबीब बिन मलिक और उनकी पत्नी को इसी मस्जिद परिसर में दफनाया गया है।

यह मस्जिद अलग-अलग धर्मो का अद्भुत संगम है। कुछ खास कोण से देखने पर यह एक मंदिर लगता है। दक्षिण के मंदिरों की तर्ज पर मस्जिद में एक तालाब भी है। मस्जिद में एक छोटा संग्रहालय है, जिसके केंद्र में एक सीसे की पेटी में मस्जिद का एक छोटा नमूना रखा हुआ है, जिसे 350 साल पहले वहां लगाया गया है। संग्रहालय में प्राचीन काल के कई कलात्मक महत्व की वस्तुएं रखी हुई हैं।
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