मंदसौर। कल सावन सोमवार को भगवान पशुपति नाथ शााही रथ पर सवार होकर पूरे नगर का भ्रमण करेंगे। ढोल बाजे के साथ धूमधाम से निकाली जाने वली शाही सवारी में पूरे जिले के ही नहीं, बल्कि देश-विदेश के भी भक्त शामिल होंगे। सुबह 9 बजे यात्रा प्रारंभ होकर शाम पांच बजे वापिस मंदिर पहुंचेगी।
प्रचलित कथा
भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा 1940 में प्राप्त होना बताई जाती है। कहा जाता है कि एक बार शिवना नदी में उदाजी नामक धोबी कपड़े धो रहा था। वह जिस पत्थर पर कपड़ेे धोता था वही भगवान की मूर्ति थी। धीरे-धीरे मूर्ति ऊपर आते गई और उसने आसपास के लोगों को जानकारी दी। फिर जिस जगह वह पत्थर था उसके अंदर तक खुदाई की गई। खुदाई में पूरी मूर्ति बाहर निकल आई।
इसके बाद प्रत्यक्षानंद महाराज को बुलाया गया, जो समीप ही आश्रम में निवास करते थे। उन्होंने 1961 में इसकी स्थापना कर पशुपतिनाथ नाम दिया। यहीं से मंदिर का निर्माण प्रारंभ होना बताया जा रहा है।
नेपाल में चौमुखी यहां अष्टमुखी प्रतिमा
यह प्रतिमा चिकने, चमकदार, गहरे ताम्रवर्णी आग्रेय शिलाखंड से एक ही पत्थर पर निर्मित है। इससे पहले प्राचीन काल में एक मुख, त्रिमुख, चतुमुर्ख, पंचमुख शिवलिंग पाए गए लेकिन अष्टमुखी प्रतिमा यह एक मात्र ही है। इसलिए भी भारतवर्ष में इसे अद्वितीय माना गया है। इसकी तुलना नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर से भी की जाती है। नेपाल की प्रतिमा चारमुखी है, जबकि मंदसौर में स्थित इस प्रतिमा के आठों मुख अलग-अलग हैं। प्रतिमा की ऊंचाई सवा सात फीट व गोलाई सवा ग्यारहा फीट है।
शिवना नदी का अभिषेक
इस स्थान पर भगवान पशुपतिनाथ की विशेष कृपा है। शिवना नदी में भारी बाढ़ के दौरान भी कभी यहां के निवासियों को क्षति नहीं पहुंची। शिवना नदी कई बार मंदिर को ढक लेती है। स्थानीय लोग इसे भगवान का अभिषेक करने की संज्ञा देते हैं। शिवना नदी चंबल में जाकर मिलती है।
Home / Astrology and Spirituality / Temples / शिवना नदी में कपड़े धो रहा था धोबी, मिल गए अष्टमुखी ‘भगवान पशुपतिनाथ’