सास ने विष्णु तथा बहू ने शिव का मंदिर बनवाया था
ग्यारहवीं सदी में ग्वालियर में कच्छवाहा वंश के राजा महिपाल का शासन था। उनकी पत्नी भगवान विष्णु की परम भक्त थी। रानी की इच्छानुसार राजा महिपाल ने भगवान विष्णु का मंदिर बनवाया जिसका नाम सहस्त्रबाहु मंदिर रखा गया।
कुछ समय बाद रानी के पुत्र की शादी हुई और उनकी पुत्रवधू भगवान शिव की भक्त थी। अपनी पुत्रवधू के प्रभाव से रानी ने मंदिर के पास ही भगवान शिव का भी मंदिर बनवाया। दोनों मंदिरों को संयुक्त रूप से सहस्त्रबाहु मंदिर कहा जाने लगा।
कालान्तर में यही सहस्त्रबाहु मंदिर अपभ्रंश होकर सास-बहू मंदिर हो गया। एक अन्य किंवदंती के अनुसार रानी (सास) और उनकी पुत्रवधू (बहू) के नाम पर मंदिर का नाम सास-बहू मंदिर पड़ा।
नक्काशीदार संजावट से सजा है मंदिर
सास-बहू मंदिर 32 मीटर लंबा तथा 22 मीटर चौड़ा है। मंदिर में प्रवेश के लिए तीन दिशाओं में दरवाजे हैं जबकि चौथी दिशा में एक दरवाजा बना हुआ है जो वर्तमान में बंद है। मंदिर की दीवारों, खंबों तथा छत पर नक्काशीदार आकृतियां बनाई गई हैं जो देखते ही मन मोह लेती है।
इसके अलावा मंदिर की छत से ग्वालियर शहर को देखना भी अपने आप में एक खास अनुभव देता है। इस अनुभव को देखने के लिए बहुत से लोग मंदिर में आते हैं।