मेडल लाने के लिये जान लगा देंगे : सानिया
Published: Jul 16, 2016 04:45:00 pm
भारत की सबसे बड़ी पदक उम्मीद सानिया मिर्जा ने कहा है कि खेलों के महाकुंभ में इस बार पदक लाने के लिये वह जान लगा देंगी
नयी दिल्ली। विश्व की नंबर एक युगल खिलाड़ी और रियो ओलंपिक में भारत की सबसे बड़ी पदक उम्मीद सानिया मिर्जा ने कहा है कि खेलों के महाकुंभ में इस बार पदक लाने के लिये वह जान लगा देंगी। सानिया ने अपनी किताब ‘एस अगेंस्ट
ऑड्स’ का राजधानी दिल्ली में शुक्रवार रात विमोचन करते हुए यह बात कही।
सानिया ने इस मौके पर मशूहर अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा के साथ अपने जीवन और करियर के कई पहलुओं पर चर्चा की। इसके बाद उन्होंने सवालों के जवाब देते हुये कहा, हम इस बार काफी सकारात्मक सोच के साथ ओलंपिक में उतरने जा रहे हैं। हमारी टीम सर्वश्रेष्ठ है और हम पदक लाने के लिये जान लगा देंगे।’ उन्होंने चार साल पहले लंदन ओलंपिक के समय हुये विवाद और नाटकीय घटनाक्रम को याद करते हुये कहा, ‘उस समय परिस्थितियां वाकई खराब थीं। एक विवाद उठ खड़ा हुआ था। हम अपनी सही सोच में नहीं थे और उस समय ओलंपिक जाने से पहले ही हम तमाम उम्मीदें खो बैठे थे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। हमारी सोच बेहतर है, आत्मविश्वास ऊंचा है, सर्वश्रेष्ठ जोड़यिां जा रही हैं और पदक जीतने का भरोसा है।’
विश्व की नंंबर एक खिलाड़ी ने कहा, ‘लंदन ओलंपिक के समय मैं नंबर एक नहीं थी। हर कोई अपनी मर्जी के हिसाब से अपनी बात कह रहा था। यही कारण था कि उस समय विवाद पैदा हुआ। लेकिन इस बार मैं नंबर वन हूं और मैंने अपनी बात मजबूती से सभी के सामने रखी।’
अपनी युवा जोड़ीदार प्रार्थना थोम्बरे के लिये सानिया ने कहा, ‘वह एक युवा खिलाड़ी हैं और 21 साल की खिलाड़ी हैं बड़े खिलाड़यिों को हराने की उम्मीद करना सही नहीं होगा। वह ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने जा रही हैं और यही सबसे बड़ी बात है। जब चार साल बाद अगले ओलंपिक आएंगे तो उसे अनुभव हासिल हो सकेगा और तब आप उससे पदक की उम्मीद कर सकेंगे।’
उन्होंने साथ ही कहा,’पिछले 15 वर्षों से यह बार बार पूछा जा रहा है कि सानिया के बाद कौन। हर खिलाड़ी को अपनी जगह बनाने में कुछ समय लगता है और समय के साथ आपको इस सवाल का जवाब भी मिल जाएगा।’ यह पूछने पर कि क्या भारत अपनी पिछली छह पदक संख्या को पीछे छोड़ सकता है, सानिया ने कहा, ‘हमें पूरी उम्मीद है कि हम लंदन को पीछे
छोड़ देंगे। पदक कोई भी ला सकता है और उसका रंग कोई भी हो सकता है। हमें हर पदक का सम्मान करना चाहिये। टेनिस की बात कहूं तो गारंटी नहीं दे सकते लेकिन हमारा पूरा ध्यान सिर्फ इसी बात पर केंद्रित है और हम पदक जीतने की पूरी कोशिश करेंगे।’
ग्रैंड स्लेम टूर्नामेंटों और ओलंपिक के मुद्दे पर पिछले एक साल में तीन महिला युगल ग्रैंड स्लेम खिताब जीत चुकीं सानिया ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि जब हम ओलंपिक में खेलते हैं तभी देश के लिये रैकेट उठाते हैं। हम ग्रैड स्लेम या किसी अन्य टूर्नामेंट में भी खेलते हैं तो हम अपने देश के लिये ही खेल रहे होते हैं।’ टेनिस स्टार ने देश में खेल संस्कृति की कमी पर भी सवाल उठाया।
उन्होंने कहा, ‘हम अभी तक देश में रूस या चीन की तरह खेल संस्कृति पैदा नहीं कर पाए हैं। यदि हमें खेलों में आगे जाना है तो हमें देश में खेल संस्कृति को लाना होगा।’ सानिया ने अपने परिवार को अपनी सबसे बड़ी ताकत बताया।
उन्होंने कहा, ‘बात चाहे मेरे टेनिस खेलने की हो या फिर मेरी शादी की। मेरा परिवार हमेशा मेरे साथ खड़ा रहा। यही कारण है कि मैं आज इस मुकाम पर पहुंच पाई हूं।’ इस अवसर पर सानिया के पिता इमरान मिर्जा और माता नसीमा भी मौजूद थे। सानिया की किताब की प्रस्तावना उनकी युगल जोड़ीदार स्विटजरलैंड की मार्टिना हिंगिस ने लिखी है जबकि दिग्गज टेनिस स्टार महेश भूपति ने सानिया का संक्षिप्त परिचय दिया है।