टीकमगढ़। किसी ने सपनों के आशियानें के लिए बैंक से योजना के तहत कर्ज लिया तो किसी ने वाहन के लिए ऋण लिया। समय गुजरता गया और 10 हजार की रकम आज 30 लाख से ऊपर पहुंच गई। वहीं दो से तीन लाख की राशि आज एक करोड़ में तब्दील हो गई। लाखों और करोड़ो के इन देनदारों के पास हजारों की कीमत का सामान भी नहीं है।
ऐसे में देनदार किसानों में वसूली में राहत देने के लिए कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगाई है। लेकिन एक ओर ऋण वसूली के लिए जिला सहकारी बैंक कार्रवाई की बात कर रहा है,तो इन किसानों का कहना है कि प्रदेश में किसानों के हालात देखते हुए सरकार किसानों के हित में निर्णय ले सकती है। वहीं बैंक प्रबंधक का कहना था कि करीब 150 करोड़ की राशि कालातीत बकायादारों से वसूली जानी है। बैंक के द्वारा नियमों के अनुसार ब्याज को मूलधन में जोड़कर राशि का निर्धारण किया गया है।
यह है मामला-मूल रूप से किसानों के लिए काम करने वाली जिला सहकारी केंद्रीय बैंक से वर्ष 1995 से लेकर वर्ष 2000 तक किसानों के द्वारा अपना घर और चार पहिया वाहन के लिए ऋण लिया गया था। नगर के मऊरोड़ निवासी श्यामलाल नापित के द्वारा 2 लाख का ऋण लिया गया था। जिसकी उन्होंने 4 किश्त जमा भी की थी। लेकिन फिर बैंक प्रबंधन के द्वारा एक मुश्त राशि जमा करने की बात करके ऋण समाप्त करने की बात की गई।
श्यामलाल का कहना था कि आर्थिक संकट के चलते वह राशि जमा नहीं कर पाए। बैंक से वर्ष 2013 में उन्हें अंतिम नोटिस मिला,जिसमेंं करीब 3 लाख की राशि जमा करने के निर्देश दिए गए थे। उन्होंने राशि का इंतजाम करना शुरू किया। लेकिन तीन वर्ष बाद 2016 में यह राशि एकाएक बढ़कर 99 लाख 33 हजार 730 रूपए हो गई। इसके साथ ही सिविल लाईन निवासी चंद्रेश मिश्रा के द्वारा वाहन के लिए ली गई,2 लाख की राशि ने उन्हें आज बैंक का सबसे बड़ा बकायादार बनाते हुए 1 करोड़ 51 लाख 55 हजार का ऋणी बना दिया।
बैंक के द्वारा जारी की गई सबसे बड़े बकायादारों की 19 लोगों की सूची में 10 हजार का ऋण लेकर घर बनाने वाले प्रमोद चौवे,राजेंद्र रिछारिया,सलीम खांन अब 60 से 70 लाख की राशि तक पहुंच गए है।
विधायक के भाई पर हुए 1 करोड़-
बैंक द्वारा जारी सूची में वाहन ऋण के लिए 3 लाख का लोन लेने वाले टीकमगढ़ विधायक के के श्रीवास्तव के भाई शिवकुमार श्रीवास्तव पर अब 1 करोड़ 12 लाख से अधिक राशि का ऋण बकाया है। किसान इन बकायादारों का कहना है कि आखिर बैंक ने किस तरह का ब्याज लगाया कि तीन वर्ष पहले 3 लाख की राशि अचानक बढ़कर 99 लाख और 1 करोड़ तक कैसे पहुंच गई। श्यामलाल नापित का कहना था कि बैंकों के इस तरह के रवैये के कारण किसान अपनी जान देने को मजबूर हो जाते है। उनका कहना था कि सभी किसान मुख्यमंत्री से मिलकर जल्द ही राहत की मांग करेंगे।
कहते है अधिकारी-
बैंक के द्वारा अकृषि के लिए दिए गए ऋण पर कोई माफी की योजना नहीं है। इसके लिए लोक अदालत के माध्यम से समझौता के आधार पर ही राशि जमा की जा सकती है।
के के रायकवार महाप्रबंधक जिला सहकारी बैंक टीकमगढ़।