जयपुर। हिन्दी
फिल्मों के मशहूर अभिनेता अशोक कुमार की छवि भले ही एक सदाबहार अभिनेता की रही है।
परन्तु बहुत कम लोगों को पता होगा कि वह फिल्म इंडस्ट्री के पहले ऎसे अभिनेता थे
जिन्होंने एंटी हीरो की भूमिका भी निभाई थी। पिछली शताब्दी में चालीस के दशक में
अभिनेताओं की छवि परंपरागत अभिनेता की होती थी जो रूमानी और साफ सुथरी भूमिका किया
करते थे। अशोक कुमार ने फिल्म इंडस्ट्री में पहली बार अभिनेताओं की परंपरागत शैली
को तोड़ते हुए फिल्म किस्मत में ऎंटी हीरो की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म ने कलकत्ता
के चित्रा थिएटर सिनेमा हॉल में लगातार 196 सप्ताह तक चलने का रिकार्ड बनाया।
हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री मे दादा मुनि के नाम से मशहूर कुमुद कुमार गांगुली उर्फ
अशोक कुमार का जन्म बिहार के भागलपुर शहर में 13 अक्टूबर 1911 को एक मध्यमवर्गीय
बंगाली परिवार में हुआ था।
अशोक कुमार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा खंडवा शहर
तथा स्नातक की पढ़ाई इलाहाबाद यूनिर्वसिटी से पूरी की। इसी दौरान उनकी दोस्ती शशाधर
मुखर्जी मुखर्जी से हो गई जो उन्हीं के साथ पढ़ा करते थे। इसके बाद अपनी दोस्ती को
रिश्ते मे बदलते हुए अशोक कुमार ने अपनी इकलौती बहन की शादी शशाधर से कर दी। वर्ष
1934 मे न्यू थिएटर मे बतौर लैबोरेटरी असिस्टेंट काम कर रहे अशोक कुमार को बाम्बे
टॉकीज मे काम कर रहे उनके बहनोई शशाधार मुखर्जी ने अपने पास बुला लिया। वर्ष 1936
मे बाम्बे टॉकीज की फिल्म जीवन नैया से अशोक कुमार का बतौर अभिनेता फिल्मी सफर शुरू
हो गया। इसके बाद आई फिल्म कंगन, बंधन और झूला मेंउनके अभिनय को दर्शको द्वारा काफी
सराहा गया और अशोक कुमार बतौर अभिनेता फिल्म इ ंडस्ट्री मे स्थापित हो गए।
पचास के दशक मे बाम्बे टॉकीज से अलग होने के बाद उन्होंने अपनी खुद की
प्रोडक्शन कंपनी शुरू की इसके साथ ही उन्होंने जूपिटर थिएटर भी खरीदा। लगभग तीन
वर्ष के बाद फिल्म निर्माण क्षेत्र मे घाटा होने के कारण उन्होंने अशोक कुमार
प्रोडक्शन कंपनी बंद कर दी। अभिनेत्री नूतन के कहने पर अशोक कुमार ने बिमलराय की
फिल्म बंदिनी (1963) में काम किया और यह फिल्म हिन्दी फिल्म इतिहास की क्लासिक
फिल्मों मे शुमार की जाती है। अभिनय मे एक रूपता से बचने और स्वंय को चरित्र
अभिनेता के रू प मे स्थापित करने के लिए अशोक कुमार ने अपने को विभिन्न भूमिकाओं मे
पेश किया। वर्ष 1958 में प्रदर्शित फिल्म चलती का नाम गाड़ी में उनके अभिनय के नये
आयाम दर्शकाें को देखने को मिले। हास्य से भरपूर इस फिल्म मे अशोक कुमार के अभिनय
को देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। वर्ष 1968 मे प्रदर्शित फि ल्म आर्शीवाद में अपने
बेमिसाल अभिनय के लिये वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित
किए गए। इस फिल्म मे उनका गाया गाना रेल गाड़ी रेल गाड़ी बच्चों के बीच काफी
लोकप्रिय हुआ।
वर्ष 1967 मे प्रदर्शित फिल्म ज्वैलथीफ में उनके अभिनय का नया
रूप दर्शकों को देखने को मिला। इस फिल्म मे वह अपने सिने कैरियर मे पहली बार खलनायक
की भूमिका मे दिखाई दिए। वर्ष 1984 मे दूरदर्शन के इतिहास के पहले सोप आपेरा हम लोग
में अशोक कुमार सीरियल के सूत्रधार की भूमिका मे दिखाई दिए और छोटे पर्दे पर भी
उन्होंने दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया। दूरदर्शन के लिए ही अशोक कुमार ने भीम
भवानी, बहादुर शाह जफर और उजाले की ओर जैसे सीरियल मे भी अपने अभिनय का जौहर
दिखाया। अशोक कुमार दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित
किए गए। वर्ष 1988 मे हिन्दी सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के अवार्ड से
उन्हें सम्मानित किए गए। लगभग छह दशक तक अपने बेमिसाल अभिनय से दर्शको के दिल पर
राज करने वाले अशोक कुमार 10 दिसंबर 2001 को सदा के लिये अलविदा कह गए।
Home / Special / जन्मदिन- फिल्म इंडस्ट्री के पहले एंटी हीरो थे अशोक कुमार