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देश की दूसरी महिला विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का आज है हैप्पी बर्थडे

Published: Feb 14, 2016 12:53:00 am

वर्ष 1977 में हरियाणा कैबिनेट में वह 25 साल की उम्र में मंत्री बन गईं थी

sushma swaraj

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नई दिल्ली। महिला राजनीतिज्ञ और देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला कैंट के रहने वाले हरदेव शर्मा और लक्ष्मी देवी के घर हुआ था। उनके पिता आरएसएस के एक प्रमुख सदस्य थे। सुषमा के माता-पिता पाकिस्तान के लाहौर के धरमपुरा इलाके के रहने वाले थे। देश के विभाजन के बाद वे अंबाला आकर बस गए। 2009 में भाारतीय जनता पार्टी ने सुषमा को लोकसभा में विपक्ष की नेता मनोनीत किया था। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी वह मंत्री रह चुकी हैं। 1998 में वह कुछ दिनों के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रहीं थी। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद वह दूसरी महिला हैं जिन्हें विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गईं। वह संसद के लिए सात बार और तीन बार विधानसभा के लिए चुनी गईं। वर्ष 1977 में हरियाणा कैबिनेट में वह 25 साल की उम्र में मंत्री बन गईं थी। वर्ष 2014 में हुए आम चुनाव में वह मध्य प्रदेश के विदिशा से दूसरी बार सांसद चुनी गईं। यहां से वह 4 लाख से अधिक मतों से जीतकर संसद पहुंची। 26 मई 2014 को उन्हें विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई।


राजनैतिक करियर
सुषमा स्वराज ने अपना राजनैतिक करियर 70 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ शुरू किया। उनके पति स्वराज कौशल समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडीज के साथ जुड़े रहे थे जिसके चलते 1975 में सुषमा जॉर्ज की विधि टीम के साथ जुड़ गई। आपातकाल के बाद वह भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गई जिसकी बाद में वह राष्ट्रीय नेता बन गई।

राज्य स्तर राजनीति
1977 में वह 25 साल की उम्र में अंबाला छावनी से हरियाणा विधानसभा के लिए चुनी गई। 1987 में वह फिर से इसी सीट से विधायक चुन कर आईं। जुलाई 1977 को देवी लाल के नेतृत्व वाली जनता पार्टी उन्हें कैबिनेट मंत्री के रूप में
शामिल किया गया। 27 साल की उम्र में उन्हें जनता पार्टी का प्रदेश (हरियाणा) प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 1987 से 1990 तक वह भाजपा-लोकदल गठबंधन सरकार में उन्होंने शिक्षा मंत्रालय का प्रभार संभाला।

दिल्ली की मुख्यमंत्री
राष्ट्रीय राजनीति में हाथ आजमाने के बाद उन्होंने अक्टूबर 1998 को अटल बिहारी वाजपेयी सरकार से इस्तीफा देने के बाद दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। लेकिन, बढ़ती महंगाई के कारण इसी साल हुए विधानसभा
चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। हार के बाद सुषमा ने विधानसभा सीट से इस्तीफा देने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में वापस लौट गईं।

राष्ट्रीय राजनीति
अप्रेल 1990 को वह राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुई और यहां वह 1996 तक रहीं। इसके बाद 1996 में 11वीं लोकसभा के लिए हुए आम चुनाव में वह दक्षिण दिल्ली से लोकसभा के लिए चुनी गई। सुषमा ने 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिवसीय सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली। इस दौरान उन्होंने आम जनता के लिए लोकसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण शुरू करवाया। 1998 में 12वंी लोकसभा के लिए हुए आम चुनाव में वह फिर से दक्षिण दिल्ली से चुनी गई। वाजपेयी सरकार में उन्हें सूचना मंत्रालय के साथ साथ 19 मार्च 1998 से 12 अक्टूबर तक दूरसंचार विभाग की भी जिम्मेदारी सौंपी गई। इस दौरान उनका सबसे अहम फैसला था कि उन्होंने फिल्म इंनिर्माण को इंडस्ट्री का दर्जा दिया। इस फैसले के बाद फिल्म उद्योग को बैंकों से ऋण लेने के लिए रास्ता साफ हो गया। इससे पहले, अंडरवल्र्ड फिल्मों में अपना पैसा लगाता था और इसका सूद भी बहुत वसूला जाता था।

सितंबर 1999 के आम चुनाव में भाजपा ने सुषमा को कर्नाटक की बेल्लारी सीट से कांगे्रस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ मैदान में उतारा। 1951-52 में हुए पहले आम से लेकर अब तक कांग्रेस ने यह सीट कभी नहीं हारी। हालांकि, वह यह चुनाव 7 प्रतिशत मतों से हार गईं। उन्हें कुल 3 लाख 58 हजार वोट मिले। अप्रेल 2000 में वह राज्यसभा के लिए मनोनित हुई। उन्हें वाजपेयी कैबिनेट में सूचना और प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस पद पर वह सितंबर 2000 से लेकर जनवरी 2003 तक रहीं। जनवरी 2003 से मई 2004 तक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री रही। इस दौरान उन्होंने देशभर में छह एम्स अस्पतालों की स्थापना की। 2004 के आम चुनाव में राजग सरकार को बेदखल कर यूपीए सरकार सत्ता पर काबिज हुई। 2009 के आम चुनाव में वह विदिशा से लोकसभा के लिए चुनी गईं। 21 दिसंबर 2009 से लेकर मई 2014 तक वह विपक्ष की नेता रही।
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