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वीरों की भूमि हैं चित्तौडग़ढ़, भीम ने भी की थी यहां की यात्रा

Published: Nov 26, 2015 12:22:00 am

चित्तौडग़ढ़ शहर के योद्धाओं की वीरता की कहानियों को भारत के इतिहास में सम्मानजनक स्थान प्राप्त है। भीम ने एक साधु से अमरत्व का रहस्य जानने के लिए इस स्थान की यात्रा की थी

Chittorgarh

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चित्तौडग़ढ़ शहर के योद्धाओं की वीरता की कहानियों को भारत के इतिहास में सम्मानजनक स्थान प्राप्त है। एक लोककथा के अनुसार हिंदू महाकाव्य के एक महत्वपूर्ण चरित्र और पांडवों में से एक, भीम ने एक साधु से अमरत्व का रहस्य जानने के लिए इस स्थान की यात्रा की थी। हालांकि वह अपनी अधीरता के कारण अपने प्रयास में सफल नहीं हो सका। उसने कुंठा और क्रोध में जमीन पर पैर पटका जिसके कारण इस स्थान पर एक जलाशय बना जो भीम लात के नाम से जाना जाता है।

चित्तौडग़ढ़ और उसके आसपास
इस शहर का प्रमुख आकर्षण चित्तौडग़ढ़ किला है, जो 180 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इस किले में कई स्मारक है जिनमें से प्रत्येक के निर्माण के पीछे कुछ कहानी है। महाराणा फतेह सिंह द्वारा बनवाया गया फतेह प्रकाश महल एक सुंदर ऐतिहासिक स्थान है। महल के अंदर आपको भगवान गणेश की एक सुंदर मूर्ति, बड़ा फ़व्वारा और सुंदर भित्ति चित्र मिलेंगे जो विगत युग की कला को दर्शाते हैं। इसके अलावा यहां इस क्षेत्र में अनेक धार्मिक केंद्र हैं जैसे सांवरियाजी मंदिर, तुलजा भवानी मंदिर, जोगिनिया माता जी मंदिर और मत्री कुंडिया मंदिर।

प्रकृति का पूर्ण रूप से आनंद उठाने के लिए पर्यटक बस्सी वन्य जीवन अभ्यारण्य का भ्रमण कर सकते हैं जो 50 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसके अलावा सीतामाता अभ्यारण्य और भैन्स्रोगढ़ वन्य जीवन अभ्यारण्य भी अपनी जीवों और वनस्पतियों के लिए पर्यटकों में लोकप्रिय हैं। वे पर्यटक जो इस शहर के बारे में और इसकी संस्कृति के बारे में अधिक जानना चाहते हैं वे पुरातत्व संग्रहालय (आरर्कियोलॉजिकल म्यूजिय़म) का भ्रमण कर सकते हैं जहाँ सुंदर मूर्तियां, दुर्लभ चित्र मूर्तियां और प्राचीन काल के भित्ति चित्र देखे जा सकते हैं। संग्रहालय में पाई जाने वाली कुछ मूर्तियां गुप्त और मौर्य राजवंशों से जुड़ी हुई हैं। यदि समय अनुमति दे तो पर्यटक बीजापुर में स्थित एक पुराने किले का भ्रमण कर सकते हैं जिसे अब एक होटल में परिवर्तित कर दिया गया है। प्रतापगढ़ के पास स्थित 16 वीं शताब्दी का देवगढ़ किला भी एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह स्थान अनेक मंदिरों और महलों के लिए जाना जाता है।

मेनल एक छोटा सा शहर है जो चित्तौडग़ढ़ से 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अपने परिदृश्य और मंदिरों की वास्तुकला के कारण यह स्थान मिनी खजुराहो के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान पर खुदाई के बाद कई बौद्ध मंदिर मिले जिमें से 12 वीं शताब्दी का मंदिर प्रमुख है। अपने सुंदर दृश्यों के कारण यह स्थान एक प्रमुख पिकनिक स्थल बन गया है। इसके अल्वा पर्यटक गायमुख कुंड के भ्रमण की योजना भी बना सकते हैं जिसका आकार इसके नाम के अनुसार गाय के मुख के समान है। इस जलाशय के पास रानी बिंदर टनल है जो शहर का प्रमुख आकर्षण भी है।

चित्तौडग़ढ़ पहुंचना
चित्तौडग़ढ़ का निकटतम हवाई अड्डा डबोक हवाई अड्डा है जिसे महाराणा प्रताप हवाई अड्डे के नाम से भी जाना जाता है, जो 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह हवाई अड्डा सभी प्रमुख भारतीय शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। चित्तौडग़ढ़ का रेलवे स्टेशन महत्वपूर्ण शहरों जैसे अजमेर, जयपुर, उदयपुर, कोटा और नई दिल्ली से जुड़ा हुआ है। इस शर तक रास्ते द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है और राज्य परिवहन और निजी बस दोनों प्रकार की सेवा यहां उपलब्ध है।

चित्तौडग़ढ़ में मौसम
गर्मियों में इस स्थान का मौसम बहुत गर्म होता है और इस दौरान अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक जाता है। मानसून के दौरान रुक रुक कर होने वाली वर्षा के कारण हवा नम होती है। इस क्षेत्र में प्रतिवर्ष औसत 60 सेमी. से 80 सेमी. तक वर्षा होती है। इस स्थान की यात्रा के लिए ठंड का मौसम सबसे उपयुक्त माना जाता है क्योंकि तापमान 11 डिग्री सेल्सियस और 28 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। 
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