आगरा। विश्वप्रसिद्ध आगरा के ताजमहल पर लगातार ‘मड पैक थैरेपी’ किए जाने को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। ताजमहल को प्रदूषण के खतरे से बचाने के लिए उसपर मड पैक थैरेपी की जाती है। पिछले 14 महीनों में यह तीसरी बार है जब ताजमहल के उत्तरी दीवार पर मड पैक थैरेपी की गई है। ऐसे में चिंता जताई जा रही है कि कई बार मिट्टी के लेप लगाने से कई ताजमहल का वास्तविक रंग फीका ना पड़ जाए। गौरतलब है कि भारत में पुरानी इमारतों की देखभाल की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पास है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों का कहना है कि ताजमहल पर लगातार ‘मड पैक थैरेपी’ का इस्तेमाल करने से इस स्मारक की खूबसूरती पर असर पड़ेगा। एक अंग्रेजी अखबार से एएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जब मड थैरेपी की जाती है तो ताजमहल को ढक दिया जाता है।
पिछले साल अप्रैल में पहली बार की गई थी मड थैरेपी
ताजमहल पर पिछले साल अप्रैल में पहली बार मड पैक थैरेपी की गई थी। यह थैरेपी उस वक्त की गई थी जब पर्यावरण संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने ताजमहल का दौरा किया था। संसदीय कमिटी ने यह दौरा इंडो-यूएस की उस दावे को परखने के लिए किया था जिसमें कहा गया था कि ताजमहल पर काले और भूरे धब्बे पड़ रहे हैं। इसके बाद सितंबर 2015 में ताजमहल हर हर धब्बे पड़ने की बात कही गई थी। एएलआई के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि प्रदूषण पर अंकुश लगाना राज्य की जिम्मेदारी है।
Home / Travel / लगातार ‘मड थैरेपी’ विश्व प्रसिद्ध ताजमहल को पहुंचा रही है नुकसान