वरोशा। आईलैंड कंट्री साइप्रस का वरोशा शहर कभी वर्ल्ड की टॉप टूरिस्ट लोकेशन में शामिल था। लेकिन अब ये दुनिया का सबसे बड़ा घोस्ट टाउन बन चुका है। यहां पब्लिक के आने-जाने पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है। 1974 में तुर्की के हमले के बाद ये शहर रातोंरात खाली हो गया। तब से चालीस दशक से ज्यादा का वक्त गुजर गया है और ये शहर वीरान पड़ा है।
पब्लिक के आने-जाने पर प्रतिबंध
फमागस्ता प्रॉविन्स के इस शहर की आबादी करीब 40,000 थी, जो तुर्की सेना के हमले की ही रात जीरो हो गई थी। नरसंहार के डर से शहर के सभी लोग भाग खड़े हुए और आस-पास के शहरों में जाकर शरण ले ली। तुर्की सेना ने यूरोपीय देश साइप्रस पर ग्रीस राष्ट्रवादियों के तख्तापलट के विरोध में हमला किया था। तुर्की का दावा था कि हमले के पीछे आईलैंड पर रह रहे तुर्की माइनॉरिटीज का प्रोटेक्शन अहम वजह थी। इसका नतीजा ये हुआ कि ग्रीस साइप्रस और तुर्की साइप्रस के नाम से दो हिस्सों में बंट गया।
इस शहर पर 4 दशक से सेना का कब्जा
जुलाई 1974 में हुए इस हमले के बाद से वरोशा शहर तुर्की सेना के कब्जे में है। यहां तुर्की की पैट्रोलिंग टीम के अलावा किसी भी विजिटर्स को आने की परमिशन नहीं है। इस हमले के बाद साइप्रस के दोनों तरफ के कई शहर दोबारा बस गए, लेकिन वरोशा वैसा ही पड़ा है। दोनों हिस्सों को बांटने वाली ग्रीन जोन के उत्तर में मौजूद वरोशा पर तुर्की सेना ने सख्त पाबंदी लगा रखी है।
फेंसिंग में कैद इस शहर से सटे बाकी के शहरों में जहां बरदस्त रौनद्म है। वहीं, ये वीरान पड़ा है। होटल, रेजिडेंशियल इमारतों से लेकर बार और रेस्टोरेंट तक सब खंडहर में तब्दील होने की कगार पर है। एक छोटी की स्ट्रिप को छोड़कर यहां के ज्यादातर बीच परमानेंट बंद कर दिए गए हैं। फेंसिंग से अंदर दाखिल होना तो दूर की बात है, बाहर से भी फोटोज लेने पर अरेस्ट किया जा सकता है।
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