चंबा भारत के हिमाचल प्रदेश प्रान्त का एक नगर है। हिमाचल प्रदेश का चंबा अपने रमणीय मंदिरों और हैंडीक्राफ्ट के लिए सर्वविख्यात है। रावी नदी के किनारे 996 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चंबा पहाड़ी राजाओं की प्राचीन राजधानी थी। चंबा को राजा साहिल वर्मन ने 920 ई. में स्थापित किया था। इस नगर का नाम उन्होंने अपनी प्रिय पुत्री चंपावती के नाम पर रखा। चारों ओर से ऊंची पहाडिय़ों से घिरे चंबा ने प्राचीन संस्कृति और विरासत को संजो कर रखा है। प्राचीन काल की अनेक निशानियां चंबा में देखी जा सकती हैं।
खजियार से 22 कि.मी. दूर एक अन्य दर्शनीय जगह है चंबा शहर। यहां से आप अपनी पसंद की हर चीज खरीद सकते हैं। इस बाजार से चंबा रुमाल, चंबा की चप्पल और यहां की अन्य ठेठ पारंपरिक चीजें काफी मशूहर हैं। हिमाचल प्रदेश का जिला चंबा का एक बेहद खूबसूरत स्थल है- खजियार समुद्रतल से 2000 मीटर की ऊंचाई लिए यह स्थल पश्चिम हिमाचल की धौलाधार पर्वत श्रृंखला के धरातल में बसा है।
खजियार का नाम यहां स्थित खजी ना के मंदिर के कारण पड़ा माना जाता है। इस स्थल की भौगोलिक सरंचना के कारण इसे भारत का मिनी स्विट्रजरलैंड भी कहा जाता है। एक ही स्थान पर झील, चरागाह और वन इन तीनों पारिस्थितिक तंत्र का होना एक दुर्लभ संयोग की तरह है जो इसकी सुंदरता में और भी निखार लाता है।
मुख्य आकर्षण स्थल- खजियार झील, खाजीनाग मंदिर, डलहौजी, कालाटोपए चंपावती मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, भूरी सिंह संग्रहालय, भंडाल घाटी, भरमौर, चौगान, बजरेश्वरी मंदिर, सुई माता मंदिर, चामुन्डा देवी मंदिर, हरीराय मंदिर, रंगमहल, अखंड चंडी महल, मणीमहेश झील आदि यहां मुख्य आकर्षण केन्द्र है।
आवागमन
वायुमार्ग : चंबा जाने के लिए नजदीकी एयरपोर्ट पंजाब के अमृतसर में है जो चंबा से 240 किमी. दूर है। अमृतसर से चंबा जाने के लिए बस या टैक्सी की सेवाएं ली जा सकती हैं।
रेलमार्ग: चंबा से 140 किमी. दूर पठानकोट नजदीकी रेलवे स्टेशन है। पठानकोट दिल्ली और मुम्बई से नियमित ट्रेनों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। यहां से बस या टैक्सी के द्वारा चंबा पहुंचा जा सकता है।
सडक़ मार्ग : चंबा सड़क मार्ग से हिमाचल के प्रमुख शहरों व दिल्ली और चंडीगढ़ से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की बसें चंबा के लिए नियमित रूप से चलती हैं।
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