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ईमानदारी से परोसी जाए न्यूज: राजीव खंडेलवाल

Published: Apr 17, 2015 09:09:00 am

“कहीं तो होगा” से घर-घर में पहचान बनाने वाले राजीव टीवी सीरीज “रिपोर्टर्स” से
करेंगे वापसी

मुंबई। “आमिर” (2008) से बॉलाीवुड में प्रभावशाली डेब्यू के बावजूद राजीव खंडेलवाल फिल्मों में अपना स्थान बना पाने में कामयाब नहीं रहे। उनकी हालिया फिल्म राजश्री की “सम्राट एंड कंपनी” भी फ्लॉप रही। अब राजीव ने फिर से टीवी की ओर रूख किया है। दस साल पहले सीरियल “कहीं तो होगा” से घर-घर में पहचान बनाने वाले राजीव टीवी सीरीज “रिपोर्टर्स” में काम कर रहे हैं।


लगभग आधा दर्जन फिल्में करने के बाद आप फिर टीवी पर लौटे हैं?
लोग सोचते हैं कि एक बार आप जब फिल्में कर लेते हैं, तो आप छोटे पर्दे की ओर वापसी नहीं करते, लेकिन मेरे मामले में मैं आगे बढ़ा हूं। मुझे इस बात पर अचरज है कि बड़े कलाकार छोटे पर्दे पर काम क्यों नहीं करते। टीवी बड़ा और ताकतवर माध्यम बनता जा रहा है और यह किसी को भी खारिज कर सकता है।

क्या टीवी इसलिए चुना, क्योंकि आप फिर से सफलता का स्वाद चखना चाहते थे?
मैं टीवी पर न्यूकमर की तरह लौटा हूं। यह टीवी पर मेरा डेब्यू है और इसे लेकर मैं काफी नर्वस हूं, क्योंकि यह आसान माध्यम नहीं है। मैं इस मानसिकता के साथ नहीं आया हूं कि मेरे पास दर्शकों का ऎसा समूह है, जो मुझे पहले पसंद करता था और अब वह यह शो देखने आएगा। यदि शो दिलचस्प होगा, तभी दर्शक आएंगे और शो को देखेंगे।

“रिपोर्टर्स” में अपनी भूमिका निभाने से पहले आपने किस तरह की तैयारियां कीं?
इस शो से पहले मैंने एंकर्स को बारीकी से देखा। मेरे टीवी शो “सच का सामना” के दौरान मुझे कान में ईयरपीस पहनना होता था और मैं जानता हूं कि सभी न्यूज एंकर्स को भी ऎसा ही करना होता है, क्योंकि वे कंट्रोल रूम के संपर्क में होते हैं। मैं जानता हूं कि वे अपने विचारों को कैसे प्रकट करते हैं, कैसे उन्हें सूचना दी जाती है और किस तरह से अंतिम पल तक आपको सूचनाओं के लिए जूझना पड़ता है।

आप किस टीवी पत्रकार के प्रशंसक हैं?
रवीश कुमार को पसंद करता हूं। वे बहुत सौम्यता के साथ बोलते हैं। राजदीप सरदेसाई बहुत अच्छे हैं। मैं डॉ. प्रणय रॉय को भी पसंद करता हूं, क्योंकि वे बहुत अच्छा बोलते हैं।

चूंकि एक रिपोर्टर की भूमिका निभा रहे हैं, किसे अहम समझते हैं- न्यूज या एथिक्स?
अब जब मैं इस दुनिया (मीडिया) में हूं, तो मैं कहूंगा कि ईमानदारी के साथ परोसे गए समाचार। जब आपको समाचार प्रस्तुत करने होते हैं, तो कई बार आपको एथिक्स को छोड़ना होता है, क्योंकि आपको अपनी बात पहुंचानी होती है। मेरा किरदार कबीर भी शो पर यही करता है। लेकिन बतौर राजीव, मैं कहूंगा कि एथिक्स ज्यादा अहम हैं, मैं वाकई एथिक्स का सम्मान करता हूं। लेकिन अब मैं समझ चुका हूं कि भले ही कलाकार हों या एंकर्स, सभी पर कितना दबाव होता है। मेरा मानना है कि आपको सही संतुलन रखने में माहिर होना चाहिए, जिससे आप रात में शांति से सो सकें।

क्या टीवी में कोई बदलाव नजर आया?
ज्यादा बदलाव नहीं हुआ। टीवी पर दबाव कभी खत्म नहीं होता, क्योंकि लगातार खुद को नए तरीके से ईजाद करना होता है। मुझे यह महसूस नहीं होता कि मैं टीवी के लिए शूटिंग कर रहा हूं, यह लगभग उसी तरह से होता है, जैसे अब हम फिल्मों की शूटिंग करते हैं।

क्या आपको किसी स्तर पर मीडिया के साथ कोई समस्या रही है?
हां, मुझे उस वक्त समस्या थी, जब मैं मंजिरी (मेरी पत्नी) के साथ डेटिंग पर था और मीडिया में खबरें आ रही थीं। वे उनके माता-पिता को छापना चाहते थे, लेकिन मैंने उन्हें ऎसा करने से मना कर दिया था। हमारे माता-पिता भी तैयार नहीं थे। उस रात मैंने कई पत्रकारों और संपादकों से बात की कि वे उस तस्वीर को प्रकाशित न करें। 
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