scriptटाइगर अब भी दिखाता है अपनी “उस्तादी” | Tiger still displays its "masterpiece" | Patrika News

टाइगर अब भी दिखाता है अपनी “उस्तादी”

locationउदयपुरPublished: Jul 28, 2015 02:47:00 am

टाइगर टी-24 (उस्ताद) को
रणथंभौर से उदयपुर के सज्जनगढ़ बॉयोलोजिकल पार्क में शिफ्ट करने से देश-दुनिया तक
मचा बवाल भले थम गया हो, लेकिन उस्ताद

Udaipur news

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उदयपुर। टाइगर टी-24 (उस्ताद) को रणथंभौर से उदयपुर के सज्जनगढ़ बॉयोलोजिकल पार्क में शिफ्ट करने से देश-दुनिया तक मचा बवाल भले थम गया हो, लेकिन उस्ताद की उस्तादी अब भी बरकरार है। यहां के सीमित क्षेत्र में भले ही टाइगर का मन लग गया हो पर उसके गुस्से का पारा कभी भी चढ़ जाता है। करीब सवा दो महीने से अपना समय बाड़े में निकालने वाले इस उस्ताद को देखने के लिए यहां आने वाला हर पर्यटक प्रयास जरूर करता है, लेकिन उसके बाड़े में कैद होने से उन्हें मायूसी हाथ लगती है।

उदयपुर आने के बाद शुरूआत में टाइगर उदास रहा और खाना नहीं खाया। धीरे-धीरे यहां के वातावरण में ढला और रम गया। वन विभाग ने उसका ब्लू प्रिंट जारी कर बताया कि वह ठीक है और एनक्लोजर में मौज-मस्ती कर रहा है। पर, यह भी सच है कि उसका गुस्सा बरकरार है। कई बार उस्ताद उग्र होकर हमलावर जैसी हरकतें करता है। उसकी अकड़ दिखाई देती है। इसे कई बार सीसीटीवी कैमरे दर्ज किया गया है। उदयपुर के सीएफ (वन्यजीव) राहुल भटनागर ने बताया कि टाइगर ठीक है लेकिन उसका गुस्सैल रवैया कभी-कभी उस पर हावी हो जाता है।

जंगल से दायरे में सिमटा
रणथंभौर में लम्बे-चौड़े इलाके में विचरण करने वाला टाइगर टी-24 अब भले यहां एनक्लोजर में बंद है लेकिन उसके खटके बहुत ज्यादा है। करीब दस हजार वर्गफीट के एनक्लोजर में 250 किलो वजन का यह टाइगर स्वयं कमरों में आता-जाता है और बाहर बनाए टीन शेड के नीचे सोता है।

पर्यटकों के सामने लाना तय नहीं
टाइगर को 16 मई 2015 की रात रणथंभौर से उदयपुर लाए थे। करीब सप्ताह भर बाद वह सामान्य हुआ। उसके पास किसी प्रकार की हलचल नहीं की गई। वहां सिर्फ केयरटेकर के अलावा किसी कभी प्रकार का मूवमेंट नहीं किया गया। बाद में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए जिससे उसकी हर हरकत पर नजर रखी जा रही है। सज्जनगढ़ बॉयोलोजिकल पार्क में आना वाला हर पर्यटक उसको देखने की बात कहता है, लेकिन ऎसा कब संभव होगा उसका कोई निर्णय नहीं हुआ है।

विदेशों में कितने हैं बाघ
सर्वाधिक 2226 बाघ भारत में हैं।13 देशों में इनकी आबादी 5148 है। भारत के बाद सर्वाधिक रूस में 540, इंडोनेशिया-मलेशिया में 500-500 व बांग्लादेश में 440 बाघ हैं।

रणथंभौर पार्क का संपदा मूल्य 4920 करोड़ रू.
आईआईएफएम के सर्वे में देश के छह टाइगर रिजर्व पार्को का अनुमानित संपदा मूल्य 1 लाख 49 हजार 900 करोड़ रू. आंका गया। इस सर्वे में रणथंभौर पार्क की अनुमानित संपदा मूल्य 4920 करोड़ रू. बताया गया है।

बाघिन “मछली” सबसे बुजुर्ग
देश की सबसे बुजुर्ग बाघिन मछली रणथंभौर टाइगर रिजर्व पार्क में है। उसकी उम्र लगभग 20 साल है ।

बाघ की खुराक
सालभर में 3000 किलोग्राम मांसाहार
एक बार में 18-32 किलोग्राम
साल में लगभग 50-60 बडे जानवर
पसंदीदा शिकार : हिरन, चीतल, गौर, सांभर, नील गाय, जंगली सूअर व भैंसा। कभी-कभी खरगोश व पक्षी भी।

टाइगर डे क्यों
रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में वर्ष 2010 में बाघ आबादी वाले दुनिया के 13 देशों की बैठक हुई थी। इसमें अगले दस साल में बाघों की आबादी दोगुनी करने का लक्ष्य तय किया गया था। तभी से यह दिन मनाया जाता है।

जारी रहेगा मानव-बाघ टकराव
रणथंभौर टाइगर रिजर्व पार्क के कंजर्वेटिव बॉयोलोजिस्ट डॉ. धमेंद्र खांडल का कहना है कि मानव-बाघ का टकराव आने वाले दिनों में और बढ़ेगा। आबादी बढ़ने से बाघों के रहने की जगह कम पड़ रही है। इसको बढ़ाने के लिए सरकारें प्रयास करे।

अव्यवस्थित विकास है वजह: वाइल्डलाइफ इंस्टीटयूट ऑफ इंडिया के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वाई.वी. झाला का कहना है कि अव्यवस्थित विकास मानव-बाघ टकराव का मुख्य कारण है। जंगल और कॉरिडोर से अतिक्रमण हटाना जरूरी है।


मुकेश हिंगड़
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