ज्योतिर्लिंग श्रीमहाकालेश्वर मंदिर जिस विधान से संचालित हो रहा है, उसमें कोई बदलाव नहीं होगा। हाई कोर्ट की युगल पीठ ने 2013-14 में एकल पीठ के फैसले को गुरुवार को निरस्त करते हुए यह आदेश दिए हैं।
उज्जैन. ज्योतिर्लिंग श्रीमहाकालेश्वर मंदिर जिस विधान से संचालित हो रहा है, उसमें कोई बदलाव नहीं होगा। हाई कोर्ट की युगल पीठ ने 2013-14 में एकल पीठ के फैसले को गुरुवार को निरस्त करते हुए यह आदेश दिए हैं।
फैसला आते ही मानों पुजारियों को दिवाली का तोहफा मिल गया। मंदिर संचालन में अनियमितता और गड़बड़ी के आरोप को लेकर लगाई जनहित याचिका को कोर्ट ने इस आदेश के साथ निराकृत किया।
पूर्व का आदेश
अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव के मुताबिक महाकाल मंदिर संचालन प्रक्रिया में गड़बड़ी, अनियमितताओं, पंडितों की नियुक्ति और ऑडिट सहित अन्य मुद्दों को लेकर 2013-14 में याचिका दायर की गई थी। जस्टिस एनके मोदी ने इसे जनहित याचिका के रूप में लेते हुए मंदिर का पुराना विधान बदलते हुए सरकार को नया विधान बनाने के आदेश दिए थे। उन्होंने माना था कि मंदिर संचालन में गड़बडिय़ां हैं, जिन्हें सुधारने की जरूरत है।
इस फैसले के खिलाफ मंदिर प्रशासन समिति ने युगल पीठ में अपील दायर की थी। इसकी सुनवाई के दौरान 2015 में उज्जैन के वीरेंद्र शर्मा तथा सारिका गुरु ने अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर कर मंदिर संचालन की गड़बडिय़ों व नियुक्तियों को मुद्दा बनाया था। मंदिर प्रशासन की अपील और शर्मा व सारिका की याचिका पर तीन सप्ताह पहले अंतिम बहस हुई, जिस पर गुरुवार को आदेश आया है।
युगल पीठ का आदेश
– वर्तमान कानून व्यवस्था ठीक चल रही है, इसमें कोई दिक्कत नहीं है।
– ऑडिट पर आपत्ति को लेकर मंदिर प्रशासन तत्काल और सही निराकरण करे।
– मंदिर में पंडितों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1986 में दिए आदेश मुताबिक हो।
इन्होंने की पैरवी
पुजारियों की तरफ से सत्यनारायण व्यास, कुटुंबले व अशोक गर्ग एडवोकेट थे, तो सुदर्शन जोशी मंदिर की ओर से। वहीं पुष्प मित्र भार्गव शासन की ओर से पैरवी कर रहे थे। डबल बैंच में पीके जायसवाल और विवेक रुसिया ने फैसला सुनाया। बड़ी संख्या में पंडे-पुजारी फैसले के समय मौजूद थे।