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फूल भेंट कर नमकीन व्यापारियों को कहा, अब तो घटा दो भाव

locationउज्जैनPublished: Jan 12, 2017 05:37:00 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

नमकीन व्यापारियोंं की मनमानी शौकीनों पर रोजाना 2 लाख रुपए का बेजा भार डाल रही है। शहर व अन्य सप्लाय में रोजाना करीब 10 हजार किलो नमकीन की खपत होती है। 

the prices reduce of namkeen

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उज्जैन. नमकीन व्यापारियोंं की मनमानी शौकीनों पर रोजाना 2 लाख रुपए का बेजा भार डाल रही है। शहर व अन्य सप्लाय में रोजाना करीब 10 हजार किलो नमकीन की खपत होती है। दाम अभी 200 रुपए किलो है, यदि 180 रुपए हो जाएं तो 20 रुपए किलो अंतर के मान से ग्राहकों को फायदा मिलेगा। कर्म सेवा धर्म सेवा संस्था के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को व्यापारियों को फूल भेंट कर कहा कि अब तो भाव कम कर दो। 

सस्ते हो गए तेल और मसाले
पदाधिकारियों का कहना था कि वर्तमान में नमकीन के दाम कम कराना चाहिए, क्योंकि 2 जनवरी से बेसन में 40 रुपए व मूंगफली तेल में 10-15 रुपए किलो तक भाव कम हुए हैं। जिला प्रशासन को जनहित में व्यापारियों से चर्चा कर इस ओर कदम उठाना चाहिए। इस पर व्यापारियों ने भी भरोसा दिलाया कि आगे आने वाले दिनों में नमकीन के भाव कम कर दिए जाएंगे। 

नमकीन बिना थाली अधूरी
कई घरों में तो नमकीन बगैर थाली अधूरी रहती है। इसी खपत व पसंद का बेजा फायदा बड़े व्यापारी उठाते हैं। इन्हें देख अन्य व्यापारी भी नमकीन के दाम बढ़ा देते हैं। शहर के चंद व्यापारियों कि मोनोपाली में जिलेभर में महंगा नमकीन बिकता है। पूर्व कलेक्टर कवींद्र कियावत ने व्यापारियों पर लगाम कसी थी, लेकिन उनके जाने के बाद व्यापारी फिर मनमानी करने लगे हैं। 





गांधीगीरी कर किया अनुरोध 
नमकीन के दाम कम करने को लेकर सामाजिक संगठन भी आगे आने लगे। पत्रिका द्वारा प्रमुखता से मुददा उठाने के बाद कर्म सेवा-धर्म सेवा संगठन के कार्यकर्ताओं ने गांधीगीरी से विरोध करने का बीड़ा उठाया। संस्था के दर्शन ठाकुर के अनुसार गुरुवार को शहर के प्रमुख नमकीन व्यापारियों के यहां गुलाब के फूल लेकर पहुंचे और उनसे अनुरोध किया कि वे जनहित में नमकीन के दाम घटाएं। दो दिन में यदि कुछ नहीं हुआ तो फिर कलेक्टर को ज्ञापन देकर प्रशासनिक हस्तक्षेप की मांग रखेंगे। 

नागदा में भाव कम पर सहमति
नागदा में भी व्यापारियों ने नमकीन के दाम 200 किए थे। बेसन-तेल के दाम कम होने के बाद वहां भी मांग उठी। एसडीएम ने व्यापारियों की बैठक बुलवाई। जिसमें व्यापारियों ने भाव कम करने पर सहमति दी। 

ऐसे समझें चपत का गणित 
– शहर में कुल दुकानें 250 
– शहर व सप्लाय में खपत 10 हजार किलो रोजाना 
– अभी दाम में अधिकता 20 रुपए प्रतिकिलो 
– हजारों शौकीनों पर भार 2 लाख रुपए रोजाना
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