गंगा पर बने रेलवे ब्रिज पर चल रहे निर्माण कार्यों में लगे श्रमिकों की सुरक्षा के प्रति बनाए गए मानकों का पूरी तरीके से अनदेखा किया जाए रहा है।
Ganga Bridge
उन्नाव. कानपुर – उन्नाव – लखनऊ के बीच स्थापित रेल पथ पर उन्नाव जनपद में कानपुर पुल बायां किनारा स्टेशन स्थापित है। जिस जनपद के स्टेशन को आजादी के लगभग सात दशक बाद अपना नाम नहीं मिला। यह उस जनपद के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की मानसिकता व कार्यप्रणाली को दर्शाता है कि निर्वाचित जनप्रतिनिधि जनपद ऐतिहासिक पृष्ठभूमि व विकास कार्यों के प्रति कितने सजग हैं।
श्रमिकों की सुरक्षा मानकों की उड़ी धज्जियां–
गंगा पर बने रेलवे ब्रिज पर चल रहे निर्माण कार्यों में लगे श्रमिकों की सुरक्षा के प्रति बनाए गए मानकों का पूरी तरीके से अनदेखा किया जाए रहा है। न तो उनके सर पर हेलमेट है और न ही पैरों में भारी भरकम लोहे की चोट से बचाने के लिए मजबूत जूते हैं। सुरक्षा मानकों को पूरी तरह से अनदेखा किया जा रहा है जिससे श्रमिकों को आए दिन चोट के दर्द सहने पड़ रहे हैं। परंतु देश के अंदर अपने कार्यों से उत्कृष्ट कार्यों से अच्छी छवि बना चुके रेलवे विभाग के उच्च अधिकारियों की आंखें नहीं खुल रही है। इस संबंध में बातचीत करने पर मंडल रेल प्रबंधक ने प्रश्न को महत्व नहीं दिया या यू कहा जाएं कि श्रमिकों की सुरक्षा के मानक उनके लिए कोई महत्व नहीं रखते हैं। उन्होंने महत्वपूर्ण प्रश्न को अनदेखा कर दिया। लखनऊ से साथ लेकर चल रहे मीडिया को उन्होंने वही दिखाया जो वह दिखाना चाहते थे।
50 से ज्यादा गाड़ियां प्रभावित
814 मीटर लंबे गंगा पर बने रेलवे ब्रिज के स्लीपर के नीचे लगे टर्फ को बदलने का कार्य चल रहा है। जिसके लिए रेलवे के उच्चाधिकारियों ने 27 दिनों का मेगा ब्लॉक लिया है। मेगा ब्लॉक के कारण लखनऊ कानपुर रूट पर चलने वाली 50 से अधिक मेल, एक्सप्रेस व पैसेंजर गाड़ियां प्रभावित हुई है। इनमें से कई को रद्द कर दिया गया है। तो कई के रूट में परिवर्तन किया गया है। कुछ पैसेंजर गाड़ियों को उन्नाव से लखनऊ के बीच चलाया जा रहा है।
27 दिनों के मेगा ब्लॉक पर उठ रहा प्रश्नचिंह
रेलवे उच्चाधिकारियों द्वारा लिया गया 27 दिनों के मेगा ब्लॉक पर ही प्रश्न चिन्ह उठता है। मेगा ब्लॉक लेने के पहले रेलवे को होने वाली क्षति व यात्रियों को होने वाली परेशानियों पर विचार ना कर उन्हे दरकिनार कर दिया गया। रेलवे ब्रिज पर ऐसे तमाम काम है जिनको बिना मेगा ब्लॉक के भी किया जा सकता है। जैसे पुरानी गिट्टी को हटाने का कार्य, पुराने स्लीपर को हटाने का कार्य, ट्रफ के जोड़ों को गैस वेल्डिंग से काटने का कार्य, आदि ऐसे तमाम कार्य हैं जिन्हें काशन लेकर किया जा सकता है और इस तरह के तमाम कार्य रेलवे विभाग द्वारा देश के विभिन्न रेल रूट पर किया जा रहा है। जहां कॉशन लेकर गाड़ियों को धीमी गति से गुजारा जाता है और काम भी जारी रहता है। परंतु यहां इस प्रकार से कार्यों को संपादन करने की इच्छा शक्ति उत्तर रेलवे के उच्चाधिकारियों में नहीं दिखी। उन्होंने मेगा ब्लॉक लेकर रेलवे को चोट पहुंचाने का काम तो किया ही है साथ ही यात्रियों को भी परेशानियों में ढकेल दिया।