नोएडा। गर्मी ने अप्रैल में ही अपना सितम ढाना शुरू कर दिया। गर्मी के साथ ही दूसरी सबसे बड़ी समस्या है बिजली और पानी की। वेस्ट यूपी के अधिकतर इलाकों में अभी से पीने के पानी की किल्लत होने लगी है। वेस्ट यूपी को जीवन देने वाली गंगा और यमुना जैसी नदियां सूखने की कगार पर हैं। देश में सूखा केवल महाराष्ट्र में ही नहीं यूपी में भी कहर ढा रहा है।
बचा है केवल इतना पानी
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बागपत में होकर बहने वाली यमुना में केवल 160 क्यूसेक का बहाव है, तो बिजनौर बैराज पर गंगा नदी का बहाव भी बेहद कम हो गया है। बैराज पर गंगा में 1150 क्यूसेक का बाहव है। जानकारों की मानें तो इन हालात में मई व जून में पीने के लिए पानी का हाहाकार मच जाएगा। वहीं, फसलों की सिंचाई के लिए पानी का संकट अभी से मंडराने लगा है।
महंगाई की मार शुरू
मार्च में हुई बेमौसम बरसात किसानों की कमर पहले ही तोड़ चुकी है। ऐसे में ये सूखे जैसे हालात किसानों के साथ ही आमजन के लिए भी घातक हैं। बाजार में खाने पीने की चीजों के दाम आसमान पर पहुुंच चुके हैं।
सामान्य तौर पर ये होता है जलस्तर
यूपी सरकार के आंकड़ों के अनुसार, सामान्य तौर पर गंगा और यमुना में काफी पानी रहता है। बरसात के दिनों में गंगा में 1.70 लाख क्यूसेक और यमुना में 80 हजार क्यूसेक का बहाव रहता है। बीते साल अक्तूबर-नवंबर में ये बहाव गंगा में एक लाख क्यूसेक और यमुना में 50 हजार क्यूसेक था। जानकार बताते हैं कि बीते पांच सालों से अप्रैल-मई में गंगा-यमुना का वाटर लेवल लगातार कम हो रहा है।
ये हैं वजह
मेरठ कॉलेज के जियोग्राफी डिपार्टमेंट के डॉ. कंचन सिंह का कहना है कि बीते सालों से लगातार बारिश कम हो रही है, जिससे नदी के साथ ही ग्राउंड वाटर रिचार्ज नहीं हो पा रहा है। दूसरी वजह है पहाड़ों पर औसत से कम बर्फबारी। पश्चिमी विक्षोभ भी एक बड़ा कारण है। दरअसल, पहाड़ों पर अभी भी पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय है जिस कारण वहां मार्च के महीने में हुई बर्फबारी का हिस्सा अभी पिघल का नदियों तक नहीं पहुंचा है। वह बताते हैं कि अभी ग्लेशियर्स पर तापमान उतना नहीं हो पाया है जिससे वहां की बर्फ पिघल सके।
बंद हुआ रिचार्ज
डॉ. कंचन बताते हैं कि वेस्ट यूपी की छोटी नदियां भी लगभग खत्म हो चुकी हैं। जो छोटी नदियां बची हैं वह नाले के रूप में बह रही हैं। ऐसे में नदियों से होने वाला रिचार्ज भी बंद हो चुका है। जिस कारण तालाब भी सूख चुके हैं और खेतों के लिए भी पानी नहीं बचा है।
वेस्ट की नदियां
नदी- लंबाई- जिले- जल स्तर
गंगा– 2525 किमी- बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर- 1150 क्यूसेक
यमुना- 1376 किमी- शामली, बागपत, दिल्ली, नोएडा- 160 क्यूसेक
हिंडन- 260 किमी- सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, बुलंदशहर- पानी लगभग खत्म
काली ईस्ट– 300 किमी- मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़- इसमें केवल फैक्ट्रियों का सीवेज बचा है
काली वेस्ट- 75 किमी- सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ- भयंकर रूप से प्रदूषित
कृष्णा- 78 किमी- सहारनपुर, शामली, बागपत- भयंकर रुप से प्रदूषित
नागदोई- 9 किमी- सहारनपुर- लुप्त
पांवधोई- 8 किमी- सहारनपुर- साफपानी
धमौला- 14 किमी- सहारनपुर- भयंकर प्रदूषित
बूढ़ी गंगा- 150 किमी- गंगा के साथ- भयंकर प्रदूषित