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#UPElection2017: राजनाथ के फॉर्मूले से ही यूपी जीतेगी भाजपा

Published: Mar 28, 2016 12:07:00 pm

Submitted by:

Sarad Asthana

यूपी भाजपा अभी अपना अध्यक्ष भले ही न तय कर पाई हो, लेकिन 2017 के चुनावी समर में जीत हासिल करने का ब्लू प्रिंट पार्टी के नेताओं के जेहन में कौंध रहा है।

rajnath singh

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नोएडा। यूपी भाजपा अभी अपना अध्यक्ष भले ही न तय कर पाई हो, लेकिन 2017 के चुनावी समर में जीत हासिल करने का ब्लू प्रिंट पार्टी के नेताओं के जेहन में कौंध रहा है। पार्टी विधानसभा चुनाव में अपने उसी वोट बैंक को निशाना बनाने की रणनीति पर विचार कर रही है, जिसके बल पर उसने 2014 का लोकसभा चुनाव जीता था। यानी एक बार फिर वह उच्चवर्ग के साथ ही अति दलित और अति पिछड़ों को अपने साथ लाना चाहती है।

माना जाता है कि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी को दलित वोटों में से जाटव को छोड़कर अन्य दलित जातियों का समर्थन मिला था। इसी तरह ओबीसी वर्ग में भी उसे यादव के अलावा अन्य जातियों के वोट मिले थे, जिसके बल पर उसने अप्रत्याशित सफलता हासिल की थी। भाजपा नेतृत्व इसी योजना पर काम कर रहा है, जिससे इन जातियों तक इसका सन्देश पहुंचाया जा सके कि भाजपा उनके हितों के प्रति किसी भी अन्य दल से अधिक सजग है।

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भाजपा ने ही दिलाया था हक

उत्तर प्रदेश में राजनाथ सिंह की अगुवाई में सरकार रहने के दौरान ही समिति बनाकर अति दलितों को दलित श्रेणी को पंद्रह फीसदी आरक्षण में से सब कोटा दिलवाया गया था। इसी तरह पिछड़ों के लिए आरक्षण सीमा में से अति पिछड़ों को उनका हक दिलवाया गया था। जाहिर है कि इन वर्गों तक पहुंचने के लिए भाजपा के पास ऐसे तीर हैं, जिसका जवाब उसके किसी प्रतिद्वंद्वी दल के पास नहीं है। भाजपा इसी योजना के तहत यूपी चुनाव में उतरने का प्लान बना रही है।

यह है योजना

भाजपा के थिंक टैंक के अनुसार, पार्टी में तीन बहुत महत्वपूर्ण पद हैं, राष्ट्रीय अध्यक्ष, चुनाव समिति का अध्यक्ष और विधानसभा में विपक्षी दल का नेता। पार्टी का मानना है कि उच्च वर्ग, अतिदलित और अतिपिछड़ा के बीच इन पदों को इस तरह वितरित किया जाए, जिससे समाज में सभी वर्गों तक सकारात्मक संदेश चला जाए और सभी जातियों को पार्टी के साथ जोड़ा जा सके। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद का मामला भी इसी योजना का एक अंग है इसलिए अध्यक्ष पद पर अब तक किसी की नियुक्ति नहीं हो सकी है। दरअसल, भाजपा के पास उच्च वर्ग के तो कई नेता हैं लेकिन अतिदलित और अतिपिछड़े वर्ग से कोई भी ऐसा नेता नहीं है, जिसके नेतृत्व में अन्य दलित या पिछड़ी जातियां एकत्र होकर भाजपा के झंडे तले आ सकें।

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यह है यूपी का जातीय गणित

पिछले सेंसस के अनुसार उत्तर प्रदेश पूरे देश में सबसे अधिक दलित जनसंख्या वाला राज्य है। पूरे भारत की आबादी में दलितों की 16.6 फीसदी की हिस्सेदारी है, लेकिन सिर्फ यूपी मे यह आंकड़ा 20.5 फीसदी है। इसी प्रकार राज्य में पचास फीसदी से अधिक ओबीसी हैं। ब्राह्मणों की आबादी दस फीसदी के आसपास है जबकि ठाकुरों की आबादी 8.5 फीसदी है।
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