पूर्वांचल को चाहिए 10 अरब से अधिक की धनराशि, काशी में ही वेतन व पेंशन पर खर्च होंगे दो अरब से अधिक
वाराणसी. पीएम मोदी के नोटबंदी के बाद केन्द्र सरकार की सबसे बड़ी परीक्षा शुरू हो गयी है। एक दिसम्बर से बैंकों व पेंशन व वेतन पाने वालों की लाइन लगने लगी है लेकिन दोपहर के बाद पैसा आने से लोगों के हाथों में निराशा लगी है जिससे उनके अंदर आक्रोश व्याप्त होने लगा है। काशी की बात की जाये तो यहां पर पेंशन व वेतन पर एक माह में दो अरब से अधिक रुपयों की दरकार होती है। केन्द्र सरकार के पास नगदी की जबरदस्त कमी है जिसके चलते करोड़ों रुपयों का पहुंचना मुश्किल हो गया है।
काशी में सिर्फ पेंशन व वेतन के लिए ही दो अरब से अधिक धनराशि की आवश्यकता होती है इसके अतिरिक्त व्यापारियों के खाते व अन्य लोगों के पैसों की बात करना बेमानी है। गुरुवार को बैंकों से अधिक एटीएम में लाइन लगी थी लेकिन कुछ देर बाद एटीएम से पैसा नहीं मिलने से लोगों को निराशा हुई है। यदि जल्द ही व्यवस्था नहीं सुधरी तो जनता का आक्रोश बढऩा तय है।
375 में से 150 से अधिक तक की शाखा बंद
जिले में लगभग बैंकों की 375 शाखा है जिसमे से ग्रामीणों क्षेत्र की 150 से अधिक बैंक शाखाएं बंद हो गयी है या पूरे समय नहीं खुल पा रही है। इसकी मुख्य वजह नोटों की कमी है।
नहीं मिला वेतन व पेंशन
माह के पहले सप्ताह तक बैंकों व एटीएम में पेंशन व वेतन निकालने वालों की होड़ लगी होती है। इस समय बैंकों में सबसे अधिक नगदी की जरूरत होती है लेकिन दिसम्बर के पहले दिन ही बैंकों में दोपहर तक नोट नहीं पहुंचे थे जिसके चलते कुछ लोगों को दो-चार हजार रुपये रुपये देने के बाद बैंक के लोगों ने हाथ खड़े कर दिये। अभी तक नोटबंदी का साथ दे रही जनता का सब्र जवाब देने लगा है यदि जल्द ही नगदी की व्यवस्था नहीं की गयी तो जनता का आक्रोश सारी व्यवस्था पर भारी पड़ सकता है।
पूर्वांचल को वेतन के लिए 10 अरब से अधिक की दरकार
पूर्वांचल की बात की जाये तो बैंकों को 10 अरब से अधिक की दरकार है। लेकिन नोटों की कमी से यह वेतन व पेंशन देना संभव नहीं हो पा रहा है।
जानिए किस जिलों को कितनी धनराशि की आवश्यकता
वाराणसी-2 अरब से ज्यादा, सोनभद्र-50 करोड़, भदोही-35 करोड़, आजमगढ़-1.50 अरब, गाजीपुर-1.60 अरब, मिर्जापुर-1.30 अरब, बलिया-1 अरब, चंदौली-1 अरब, जौनपुर-50 करोड़
कटे-फटे नोटों से ग्राहक व बैंककर्मी दोनों ही परेशान
कटे-फटे नोटों से ग्राहक व बैंककर्मी दोनों परेशान है। नाम ने छापने की शर्त पर एक बैंक अधिकारी ने बताया कि काशी में प्रतिदिन 400 से 500 करोड़ की आवश्यकता होती है लेकिन 40 से 50 करोड़ ही काशी में पहुंच रहे हैं। बैंकों में जो धनराशि आ रही है उसमे से आधे से अधिक धनराशि कटे व खराब नोटों की है जिन्हें बैंक की भाषा स्वायल कहते है ऐसे पैसों को ग्राहक भी नहीं लेते हैं और कहने को हो जाता है कि बैंकों में नोट भेज दिया गया है।
क्या कहते हैं अधिकारी
एलडीए रंजीत सिंह ने बताया कि दोपहर के बाद कैश आना शुरू हो गया है। 500 की नोट भी आ रही है इसलिए वेतन व पेंशन की समस्या दो से तीन दिन में खत्म हो जायेगी। बैंकों में जितना पैसा है वह सबको देने का प्रयास किया जा रहा है। जनता से अपील की जाती है कि वह हमें सहयोग करें। हम उनकी सारी समस्या का समाधान कर देंगे।