पेरिस में हुए आतंकी हमलों का जिम्मेदार कुख्यात आतंकी संगठन आईएसआईएस बैंक से लोन लेकर कहर बरपा रहा है। इस बात का खुलासा फाइनेंशल ऐक्शन टास्क फोर्स(एफएटीएफ) की अक्टूबर 2015 की रिपोर्ट में हुआ है।
एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक एफएटीएफ की बीते माह पेरिस में हुई बैठक में आईएस की आतंकवाद से जुड़ी वित्तीय गतिविधियोंं पर फोकस किया गया। यह बैठक पेरिस हमले के कुछ दिनों पहले ही हुई थी।
इस टास्क फोर्स के सदस्यों में भारत भी शामिल है और उसने 26/11 हमले से जुड़ी फाइनैंसिंग के तौर-तरीकों के बारे में जानकारी दी। कई देशों की तरफ से की गई जांच में एक उभरते ट्रेंड का पता चला, जिसके तहत विदेशी आतंकवादी छोटे शॉर्ट टर्म लोन के लिए अप्लाई कर रहे हैं और उनका इरादा इन को लौटाने का नहीं रहता है।
रिपोर्ट के मुताबिक इन आतंकी संगठनों को इस तरह की फंडिंग रोकने के लिए ढांचा विकसित करने की जरूरत है।
अमेरिका, फ्रांस, रूस और भारत जैसे फाइनेंशल ऐक्शन टास्क फोर्स के सदस्य देशों ने फंड जुटाने के लिए आईएस की तरफ से सोशल मीडिया के इस्तेमाल के बारे में जानकारी दी।
आईएस पर 50 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि फंड जुटाने से जुड़े विज्ञापन आमतौर पर सोशल नेटवर्क और खास थीम वाली वेबसाइट पर दिए जाते हैं और इस बारे में प्राइवेट मेसेज भी भेजे जाते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि आईएस के साथ जुड़े लोगों से ट्विटर के जरिए डोनेशन मांगा जाता है और चंदा देने वालों को उनसे स्काइप के जरिए संपर्क करने को कहा जाता है। चंदा देने वालों को स्काइप पर इंटरनेंशनल प्रीपेड कार्ड खरीदने को कहा जाता है और स्काइप के जरिए इन लोगों को प्रीपेड कार्ड का नंबर भेजा जाता है।
इसके बाद फंड जुटाने वाला यह कार्ड अपने नंबर किसी समर्थक को सीरिया के पड़ोसी मुल्क भेजता है, जो कम कीमत पर इस कार्ड नंबर को बेचकर कैश आईएस को पहुंचाता है।
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