वाराणसी. राजनीति जगत में जाना पहचाना नाम रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया जिनका पूर्वांचल में डंका बजता है।महज 24 की उम्र में अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले राजा भैया ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीता था। अगर प्रतापगढ़ की बात की जाये इनका नाम अपने आप जेहन में आ जाता है। पूर्वांचल की क्षत्रिय राजनीति में धमक दिखाने वाले बाहुबली के उपर कई आपराधिक मुकदमें भी दर्ज हैं। फिर भी कुंडा विधानसभा सीट पर जो तिलिस्म बनाया है उसे आज तक कोई तोड़ नहीं पाया है।
इस बाहुबली नेता के उपर जो मुकदमें दर्ज हैं इस आधार पर इनका इतिहास अपराधिक रहा है। अपने कारनामें व विवादों के चलते आपराधिक जगत में राजा भैया का नाम सुर्खियों में बना रहा है। राजा भैया के उपर दर्ज मुकदमों में मारपीट, डकैती, हत्या आदि शामिल हैं, जिनमें तालाब से कंकाल बरामद होने का मामला काफी सुर्खियों में रहा।
फिर सुर्खियों में राजा भैया
फिलहाल जियायुल हत्याकांड में पवन यादव के पत्र ने एक बार फिर से राजा भैयै को सुर्खियों में ला दिया है। सीबीआई निदेशक को लिखी चिट्ठी में पवन यादव ने राजा भैया और उनके चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी को मुख्य साजिशकर्ता बताया है।
यह है राजा भैया का क्राइम इतिहास
2012 विधानसभा चुनाव के दौरान राजा भैया ने चुनाव आयोग में जो हलफनामा जमा किया था, उसके मुताबिक उनके खिलाफ आठ मामले लंबित हैं। इनमें हत्या की कोशिश, हत्या के इरादे से अपहरण, डकैती जैसे मामले शामिल हैं। साथ ही उत्तर प्रदेश गैंगेस्टर एक्ट के तहत भी उनके खिलाफ मामला चल रहा है।
दो मार्च को बलीपुर गांव में एक हत्याकांड के बाद मचे बवाल को शांत करने गए कुंडा के डीएसपी जियाउल हक की हत्या कर दी गई थी। जियाउल हक की पत्नी द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में राजा भैया को इस मामले में आरोपी बताया गया।
जब मंत्रिमंडल से देना पड़ा था इस्तीफा
2012 में सपा की सरकार बनने के बाद उन्हें एक बार फिर मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया। लेकिन प्रतापगढ़ के कुंडा में डिप्टी एसपी जिया-उल-हक की हत्या के सिलसिले में नाम आने के बाद राजा भैया को अखिलेश मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा। सीबीआई जांच के दौरान क्लिनचिट मिलने के बाद उनको आठ महीने बाद फिर से मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया।
तालाब में घड़ियाल पालने का आरोप
तालाब में घड़ियाल पालने का आरोपरघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की बेंती कोठी के पीछे 600 एकड़ के तालाब से कई तरह के किस्से जुड़े हैं। लोगों के बीच धारणा थी कि राजा भैया ने इस तालाब में घड़ियाल पाल रखे थे। वे अपने दुश्मनों को मारकर उसमें फेंक देते थे। हालांकि राजा भैया इसे लोगों का मानसिक दिवालियापन बताते हैं।
जब तालाब में मिला नरकंकाल
तालाब में पाया गया कंकाल 29 जनवरी, 2003 को राजा भैया के तालाब से कंकाल बरामद होने के बाद उन पर हत्या का आरोप लगा था। 2003 में मायावती सरकार ने भदरी में उनके पिता के महल और उनकी कोठी पर छापा मरवाया था। बेंती के तालाब की खुदाई में एक नरकंकाल मिला था। वह कंकाल कुंडा क्षेत्र के ही नरसिंहगढ़ गांव के संतोश मिश्र का था। संतोश का कसूर ये था कि उसका स्कूटर था कि उसका स्कूटर राजा भैया की जीप से टकरा गया था। राजा भैया के आदमियों ने उसे बुरी तरह से मार-पीटकर तालाब में फेंक दिया।
राजा भैया को 03 नवंबर, 2002 में भाजपा विधायक पूरन सिंह को जान से मारने की धमकी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
23 नवंबर, 2002 को समर्थकों के घर से शराब दुकानों के दस्तावेज मिलने पर राजा भैया के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया।
24 नवंबर, 2002 को राजा भैया के भाई और निर्दलीय एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह गिरफ्तार किए गए।
01 दिसंबर, 2002 को राजा भैया और उनके पिता उदय प्रताप सिंह के खिलाफ डकैती और घर कब्जाने के मामले में मुकदमा दायर हुआ।
25 जनवरी, 2003 को राजा भैया तथा उदय प्रताप सिंह के घर छापा, हथियार और विस्फोटक बरामद।
29 जनवरी, 2003 को राजा भैया के तालाब से कंकाल बरामद होने के बाद उन पर हत्या का आरोप।
05 मई, 2003 को उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मायावती सरकार ने रघुराज प्रताप सिंह, उनके पिता उदय प्रताप सिंह और रिश्तेदार अक्षय प्रताप के खिलाफ पोटा के तहत मुकदमा चलाने को मंजूरी दी।
14 नवंबर, 2005 को राजा भैया और उनके पिता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कानपुर के पोटा कोर्ट में समर्पण किया।
17 दिसंबर, 2005 को जमानत मिलने के बाद राजा भैया जेल से रिहा हुए।