वाराणसी. जनता को विकास नहीं, ठोस विकास व सतत विकास चाहिए। सरकार को अपने चुनावी घोषणाओं को पूरा करना चाहिए, जनता को चुनावी जुमला नहीं चाहिए। उक्त बातें पैरवी, नई दिल्ली के दीनबंधु वत्स ने सोमवार को सारनाथ स्थित एक गेस्ट हाउस में कही। दीनबंधु वत्स ने कहा कि राजनीतिक पार्टियां जो चुनाव से पहले घोषणाएं करती हैं, वे घोषणाएं चुनाव जीतने के बाद कहां चली जाती है। सरकार को अपने चुनावी घोषणाओं को लेकर जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए।
वाराणसी की विजन और नई दिल्ली की पैरवी की ओर से आयोजित दो दिवसीय जनता की सरकार – जनता के मुद्दे कार्यक्रम में समाजिक कार्यकर्ता राम धीरज ने किसानों की दयनीय स्थिति पर अपने विचार व्यक्त किया। राम धीरज ने कहा कि दुनिया में किसानी ही एक ऐसा धंधा है, जहां हम जीतना बोलते हैं उससे ज्यादा पैदा होता है। लेकिन फिर भी किसान गरीब है, उसकी स्थिति दयनीय है। सरकार को किसानों की बढ़ोत्तरी के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से किसानों की योजनाएं किसानों तक ही नहीं पहुंच पाती हैं, चाहे केंद्र सरकार की योजना हो या राज्य सरकार की योजना हो। योजनाएं किसानों तक पहुंचेंगी तभी किसानों का भला होगा।
जनता को नहीं होती हैं योजनओं की जानकारी
सोशल वर्कर श्रुति नागवंशी ने कहा कि जनता को सरकार की ओर से शुरू हुई योजनाओं की जानकारी नहीं हो पाती है। उन्होंने कहा कि जानकारी नहीं होने से जरूरतमंद योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते। उन्होंने बताया कि 10 में से मुश्किल से पांच महिलाएं ही हौशला पोषण योजना का लाभ ले पाती हैं। ऐसे में सरकारी योजनाओं का लाभ अधिकतर पहुंच वाले लोग ही उठाते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को स्वास्थ्य बजट को बढ़ाना चाहिए। साथ ही सही समय पर बजट जनता तक पहुंचना भी चाहिए, जिससे उस बजट का उपयोग हो सके। अधिकतर योजनाओं के बजट समय पर नहीं आते हैं।
अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चे हैं ज्यादा अशिक्षित
सोशल वर्कर जागृति राही ने कहा कि दलितों से ज्यादा मुस्लिमों के बच्चे अशिक्षित हैं। सरकार को बच्चों के शिक्षा के लिए सही कदम उठाना चाहिए। उन्होंने पूछा कि सरकार ने कक्षा तीन से पांच तक के बच्चों के लिए क्या सुविधा है? उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में लाइब्रेरी नहीं है, खेलने की सामग्री नहीं है। अधिकतर स्कूलों में बिजली की व्यवस्था नहीं है, ऐसे में बच्चे क्या कम्प्यूटर चलाना सीखेंगे। उन्होंने कहा कि शहर के सरकारी स्कूलों में 30 बच्चों पर 9 शिक्षक हैं, वहीं ग्रामीण स्कूलों में 300 बच्चों पर सिर्फ एक शिक्षक होते हैं। ऐसे में कैसे ग्रामीण बच्चों की शिक्षा में सुधार होगा। वहीं मजहबी ने कहा कि अस्पतालों में एचआईवी ग्रसित महिलाओं के साथ
भेदभाव खत्म होना चाहिए। मजहबी ने कहा कि एचआईवी पीड़ितों के साथ अस्पतालों में डाॅक्टर, नर्स, स्टाफ सब भेदभाव करते हैं। दवाइंया नहीं मिलती हैं। कार्यक्रम में केसर जहां, बृजेश तिवारी, संजय श्रीवास्तव, राजदेव, अनूप श्रमिक आदि ने अपने विचार व्यक्त किया।