डीएसपी जीया उल हक के गहरे राज का उगल रहा पवन का पत्र, पत्रिका की तीसरी किश्त में जाने पत्र में छिपी अनसुनी कहानी
वाराणसी. डीएसपी जीया उल हक हत्याकांड का सच कब सामने आयेगा यह बताना तो कठिन है लेकिन पवन जो चि_ी सीबीआई निदेशक को लिखी है उस पत्र की बाते पत्रिका सबके सामने ला रही है। पत्र में कितनी सच्चाई है यह तो समय ही बतायेगा, लेकिन जिस तरह से पवन ने घटना का जिक्र किया है यदि वह सही है तो किसी के भी रौंगटे खड़े हो सकते है।
जब राजा भैया ने कहा था सीएम अखिलेश के सामने मत लेना मेरा नाम
बकौल पवन, मैं ने बताया कि सुबह करीब पांच बजे मुझे गाड़ी से पोस्टमार्टम हाउस ले जाया गया, जहां मुझे गाड़ी से उतरने तक नहीं दिया गया। कुछ कागज पर पुलिस वालों ने गोपाल जी से कहकर हस्ताक्षर करा दिया। मुझे जब गंगा घाट पर लाया गया तो वहां पर राजा भैया भी पहुंच गये थे। राजा भैया व उनके समर्थक मेरी हत्या की बात कह रहे थे। राजा भैया के लोगों ने ही कामता के घर में आग लगायी थी और सीओ जिला उल हक की हत्या करके उनकी लाश को गांव में रखा था। राजा भैया के इशारे से ही उनके आदमी वर्ष 2003 में मेरा उत्पीडऩ कर रहे हैं। न्याय के लिए सीएम अखिलेश से गुहार लगायी गयी थी। सीएम ने हमारी गुहार सुनी थी और उन्होंने घर आने का आश्वसन दिया था। जिस दिन सीएम हमारे यहां आने वाले थे तो विधायक विनोद सरोज ने कहा कि राजा का फोन है बात कर लो। मैंने फोन लिया तो राजा भईया ने कहा कि मुख्यमंत्री व आजम खां से मेरा, गुड्डू सिंह, गोपाल जी और मेरे लोगों का नाम मत लेना वर्ना आगे का सोच लेना। इसके बाद राजा भैया के कहने पर विधायक ने फोन मेरे पिता के कान पर लगा दिया। मेरे पिता रोने लगे थे। जिस दिन राजा बेती कोठी आये थे उसी दिन एक सिपाही की पत्नी से कहलवाया गया था कि बेती कोठी में आकर मिल लो नहीं तो बहुत बुरा हो जायेगा। मैं बेती कोठी नहीं गया। मेरे व परिवार की सुरक्षा अब सीबीआई ही करे।
(शेष अगली कड़ी में)
नोट-यह आरोपी पवन यादव के पत्र का अंश है।