सोनभद्र से लौटकर आवेश तिवारी
प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी से महज 120 किमी दूर उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद में भारी बारिश के बाद बाढ़ की स्थिति लगातार बेहद गंभीर होती जा रही है और सरकार कही नहीं है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़, बिहार ,झारखंड और मध्य प्रदेश से घिरे सोनभद्र में सोन के अलावा, रेणुका ,कनहर, बिजुल समेत सात नदियाँ बहती है। जिनमे से कुछ पहाड़ी नदियाँ है। फिलहाल बिजुल नदी के लगातार बढ़ते जा रहे जलस्तर और उसके तीव्र वेग से जनपद के 40 से ज्यादा टोले काले पानी में तब्दील हो गए हैं। टापू बन गए इन इलाकों में जहाँ तक़रीबन 40 हजार आदिवासी बाढ़ से सीधे प्रभावित हुए है। न जिला प्रशासन पहुँच पाया है न ही और किसी किस्म की गैर सरकारी मदद मिल पाई है। गौरतलब है कि आजादी के 70 साल बाद भी यहाँ के आदिवासियों के नसीब में एक अदद पुल न आ सकता है। पिछले साला कनहरा नामक स्थान पर बिजुल नदी पर एक एक पुल का शिलान्यास किया भी गया था लेकिन अभी तक उस पर निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जा सका है।
बच्चों के पेट पर बाढ़ की लात
करमसार के महुवारिया टोले का रामकिशुन पहाड़ी नालों में आये उफान की वजह से पिछले तीन दिनों से अपने घर नहीं गया है। बिजुल की बाढ़ की वजह से इलाके के दर्जनों विद्यालयों में दो हफ़्तों से ताला लगा हुआ है न तो शिक्षक स्कूल जा पा रहे हैं और न ही छात्र। सबसे बुरा हाल कनहरा और जुगैल ग्राम पंचायत का है। कनहरा ग्राम पंचायत शेष सोनभद्र से पूरी तरह कट गया है। आलम यह है कि जुर्रा ,कर्री ,पुराना टोला ,महुवारिया के बच्चे अपने परिजनों के साथ अपने अपने घरों में कैद है। आदिवासियों के लिए मिड डे मिल योजना एक वरदान की तरह है चूँकि स्कूल बंद है तो बच्चों को भी भोजन नहीं मिल रहा, वही बाढ़ शेष देश से उनका रास्ता रोके खड़ी है। कमोवेश ऐसा ही हाल स्वास्थ्य सेवाओं का है ।
चिकित्सा सेवाएँ हुई ठप्प, 6 की मौत
सोनभद्र के बाढ़ प्रभावित कई गाँवों में आंत्रशोथ और मलेरिया का प्रकोप जोरों पर है लेकिन आदिवासी गिरिजनों के लिए उफनती नदी पार करके अपने परिजनों को अस्पताल तक लाना नामुमकिन हो रहा है। कम से कम 50 टोले ऐसे हैं जहाँ सरकारी एम्बुलेंस नहीं पहुँच पा रही है खबर है कि सही समय से अस्पताल न पहुँचने की वजह से पनारी, परसोई, बैरपुर, कनहरा और जुगैल ग्राम पंचायतों में छह मरीजों की मौत हो चुकी है।जैसे तैसे ट्यूब के सहारे झोला छाप डाक्टर कुछ गाँवों में पहुँच पा रहे हैं।
नालों में भी उफान
इधर बीच हुई भीषण बारिश के बाद विजुल नदी और गैतानवा नदी के अलावा तीन दर्जन से ज्यादा नाले उफान पर आ गये हैं। ओबरा डैम में मिलने वाले लोहिया कुण्ड और पहलवान नाले के अलावा विजुल में मिलने वाले गोड़तोड़वा नाले और मगरदहा नाले पूरे उफान पर हैं। यह आलम तब है जबकि अब तक रिहंद नहीं से पानी नहीं छोड़ा गया है रिहंद का फाटक खुलने के बाद स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। ओबरा बिजली घर से कुछ ही दूरी पर मौजूद फफराकुंड रेलवे स्टेशन के पास चलाकी नाले की वजह से सबसे ज्यादा समस्या सामने आ रही है। इसके अलावा अरंगी, शक्तिचौरा, पहलवान, चोरपनिया, घाघर, कररी, जुर्रा, भोड़ार, घूमतहवा, खाडर, धनबहवा, अमश्रोता, कुलुहवा, सेमरतर, टेढ़ीतेन, भंवराकुंड, चोरपनिया एवं गुदरखाड़ी सहित 40 से ज्यादा नालों में पानी आ चुका है,जिसके कारण अभी तक जुगैल, भरहरी, परसोई, बैरपुर, पनारी, खरहरा, कनहरा, बडगवां, नेवारी सहित तमाम ग्राम पंचायतों के 50 से ज्यादा टोले जनपद मुख्यालय से कट गये हैं।