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मिसाल बना माधोपट्टी गांव, अब तक दिए 50 से ज़्यादा IAS-IFS अफसर     

Published: Nov 04, 2015 01:17:00 pm

Submitted by:

Nakul Devarshi

उत्तर प्रदेश के जौनपुर ज़िले का एक छोटा सा गांव माधवपट्टी ऐसी अनोखी मिसाल पेश कर रहा है जो देश के सभी गांवों के लिए प्रेरणा स्रोत बनता जा रहा है। दरअसल, इस छोटे से गांव ने अब तक 50 से ज़्यादा आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और सिविल सेवा के कई महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारी देने का काम कर डाला है।  

उत्तर प्रदेश के जौनपुर ज़िले का एक छोटा सा गांव माधवपट्टी ऐसी अनोखी मिसाल पेश कर रहा है जो देश के सभी गांवों के लिए प्रेरणा स्रोत बनता जा रहा है। 

दरअसल, इस छोटे से गांव ने अब तक 50 से ज़्यादा आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और सिविल सेवा के कई महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारी देने का काम कर डाला है।

चौंकाने वाली बात तो ये है कि महज़ करीब 4 हजार आबादी वाले इस माधवपट्टी गांव ने 42 तो केवल आईएएस अधिकारी ही दे दिए हैं। बैंक और अन्य विभागों के अधिकारियों की तो इस गांव में भरमार है। 

madhopatti

एक परिवार ऐसा भी 
इसी गांव के रहने वाले ठाकुर सूर्यबली सिंह ने एमए और एलएलबी में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से टॉप किया था। इनके भाई भगवान दीन सिंह समेत उनके कुनबे में 13 आईएएस अधिकारी निकले।

इनमें 1960 में विनय कुमार सिंह ने देश के इस सबसे बडे प्रतियोगी परीक्षा में 13वां स्थान हासिल किया था और बाद में वह बिहार के मुख्य सचिव होकर रिटायर हुए।

सिंह के कुनबे के अजय कुमार सिंह और छत्रसाल सिंह 1961 में आईएएस परीक्षा में चुने गये । भगवती दीन सिंह के बेटे इन्दु प्रकाश सिंह 1951 में आईएफएस चुने गए। वह करीब 16 देशों में भारत के राजदूत भी रहे। उन्हीं के भाई विद्या प्रकाश सिंह भी 1953 में आईएएस हो गये। 

इसी खानदान के मनस्वी कुमार सिंह पंजाब कैडर के आईएएस है। उनके छोटे भाई यशस्वी सिंह उत्तराखंड कैडर के आईएएस हैं। यशस्वी सिंह के परिवार में कुल मिलाकर 13 आईएएस और 50 राजपत्रित अधिकारी हो चुके हैं। 

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गांव के ही सजल कुमार सिंह के भाई शशिकांत सिंह बिहार न्यायिक सेवा के साथ ही बिहार उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष भी है। 

इसी गांव का एक अन्य परिवार राममूर्ति सिंह का है। सिंह ब्रिटिश काल में डिप्टी कलेक्टर थे। उनके परिवार में उत्तर प्रदेश में नगर विकास के सचिव रहे प्रकाश सिंह हैं। उनके भाई ओ पी सिंह गोरखपुर मेडिकल कालेज के प्राचार्य रह चुके हैं। 

इससे पहले राममूर्ति सिंह के भाई सूर्यपाल सिंह के परिवार से प्रवीण सिंह, विकास सिंह और विशाल सिंह प्रांतीय सिविल सेवा (पीसीएस) में चयनित हुए। गांव के प्रेमचन्द्र सिंह भारतीय पुलिस सेवा में थे और हाल ही में पुलिस महानिरीक्षक पद से रिटायर हुए हैं। इनके भाई नागेन्द्र सिंह भाभा परमाणु केन्द्र में वैज्ञानिक हैं। इसी गांव की बहू शिवानी सिंह ने 2013 की पीसीएस परीक्षा में महिलाओं में पहला स्थान हासिल किया था। 

हर बच्चे की अधिकारी बनने की तमन्ना 
गांव के लगभग हर बच्चे की तमन्ना अधिकारी बनने की है। बच्चों में इस बात की ललक भी देखने को मिलती है। गांव वाले कहते हैं कि इस गांव का बच्चा-बच्चा डीएम बनना चाहता है। 
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