वाराणसी. सपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष
मुलायम सिंह यादव की तरह लालू यादव ने भी उसी गलती को दोहराया और हाथ से सत्ता निकल गयी। यूपी व बिहार की राजनीति में लालू व मुलायम के परिवार ने लम्बे समय तक सत्ता पर कब्जा किया था, लेकिन आज समय यह आ गया है कि अब दोनों ही परिवार सत्ता से बाहर हो चुका है।
सपा सरकार के तत्कालीन सीएम
अखिलेश यादव व उनके चाचा शिवपाल यादव को बाहुबली मुख्तार अंसारी की पार्टी कौएद के विलय को लेकर मतभेद शुरू हुए थे। बाद में स्थिति इतनी बिगड़ती गयी कि
अखिलेश यादव व शिवपाल यादव का राह अलग हो गया। एक ही पार्टी में होने के बाद भी परिवार के दोनों सदस्यों के बीच पार्टी के अंदर व बाहर दोनों ही जगह पर जंग जारी है। मुलायम सिंह पर हमेशा पुत्र मोह में फंसने का आरोप लगता रहा है। सपा परिवार में कलह का ऐसा असर हुआ कि कांग्रेस से गठबंधन करने के बाद भी यूपी चुनाव में पार्टी को करारी शिकस्त मिली।
लालू यादव ने दोहरायी वही गलती
बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव ने मुलायम वाली गलती दोहरा दी है। बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर जब भ्रष्टाचार का आरोप लगा तो लालू इसे मैनेज करने के बजाये अपने सहयोगी दल जदयू से उलझनेे लगे। तेजस्वी यादव के इस्तीफा प्रकरण के चलते इतना सियासी तुफान मचा कि सीएम
नीतीश कुमार को इस्तीफा देना पड़ गया।
नीतीश कुमार बाद में बीजेपी के साथ गठबंधन करके फिर से सीएम बन गये हैं लेकिन लालू का परिवार सत्ता से बाहर हो गया।
मुलायम सिंह यादव अपने परिवार व लालू यादव अपने बेटे के प्रकरण को सही ढंग से सुलझाते तो शायद परिवार से सत्ता दूर नहीं होती।
नीतीश के सहयोग से सत्ता में हुई थी वापसी
वर्ष 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में लालू यादव की पार्टी को 24 सीट मिली थी और बीजेपी और नीतीश की पार्टी ने सत्ता पर कब्जा किया था। बाद में लालू व नितीश कुमार ने महागठबंधन करके वर्ष 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को टक्कर दी थी।
नीतीश कुमार की लोकप्रियता थी कि लालू की पार्टी को सबसे अधिक 80 सीट मिल गयी। फिलहाल बिहार का राजनीति पारा चढ़ा हुआ है और भविष्य क्या होगा यह तो समय ही बतायेगा। इतना तो जरूर है कि मुलायम व लालू यादव की नयी पीढ़ी जाने या अनजाने किसी कारण विवाद में आयी, जिसके चलते परिवार को सत्ता से बाहर होना पड़ा।