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गंगा में बिना बैराज के दौड़ेंगे अडानी के जहाज 

locationवाराणसीPublished: Jul 19, 2016 11:53:00 pm

Submitted by:

Awesh Tiwary

-गंगा में बैराज बनाने के फैसले से पीछे हटी मोदी सरकार ,विश्व बैंक के दबाब का दिखा असर 

modi government withdraws barrage on ganga

modi government withdraws barrage on ganga

-आवेश तिवारी 
वाराणसी -इलाहाबाद से हल्दिया तक गंगा में मालवाहक जहाज चलाने के मोदी सरकार की 42 सौ करोड़ रूपए की महत्वाकांक्षी परियोजना को तगड़ा झटका लगा है। सरकार ने इस परियोजना से उन सभी बैराजों के निर्माण को ख़त्म करने का फैसला किया है जिनके निर्माण का सरकार दावा करती रही है। सूत्रों की माने तो सरकार ने यह फैसला विश्व बैंक के दबाव में लिया है, जो बैराज निर्माण में लिए धन अवमुक्त करने को तैयार नहीं थी। ताजा घटनाक्रम में जहाजरानी मंत्रालय ने उक्त परियोजना के लिए पिछले महीने जो ड्राफ्ट रिपोर्ट बनाई है उसमे इन बैराजों के निर्माण का कोई जिक्र नहीं किया है। गौरतलब है कि सड़क परिवहन राजमार्ग एवं पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 18 जून 2014 को वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर बनारस और बक्सर एवं बनारस और इलाहाबाद के बीच चार बैराज बनाने की बात कही थी। इन बैराजों के निर्माण के लिए भारत सरकार को 50 मिलियन डालर का ऋण विश्व बैंक से लेना था वही गडकरी द्वारा वित्त मंत्रालय से बैराज के निर्माण में अतिरिक्त 60 मिलियन डालर की राशि का प्रावधान आम बजट में करने का अनुरोध किया गया था। यह पत्र पत्रिका के पास मौजूद है|ganga barrage
पर्यावरणविदों ने विश्व बैंक से जताई थी चिंता 
गंगा में बैराज के निर्माण को लेकर शुरू से ही विवाद की स्थिति थी। जानकारी मिली है कि देश के पर्यावारणविदों के एक शिष्टमंडल ने गंगा नदी में बैराज के निर्माण को रोकने के लिए विश्व बैंक से दरख्वास्त करी थी।विश्व बैंक के प्रतिनिधियों और पर्यावरणविदों के बीच अक्टूबर 2014 में इसको लेकर एक बैठक भी हुई थी। बैराज निर्माण से पीछे हटने के सरकार के फैसले पर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है।पर्यावरणविद और अर्थशास्त्री भरत झुनझुनवाला ने पत्रिका से हुई एक बातचीत में कहा है कि बैराज का निर्माण करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं था दरअसल सरकार इन बैराजों का निर्माण करके गंगा में बड़े मालवाहक जहाज चलाना चाहती थी। संभवतः इस फैसले से पीछे हटने की वजह इसमें आने वाली लागत या फिर आम जनता का दबाव है। विन्ध्य बचाओ अभियान के देबादित्यो सिन्हा का कहना है कि इन बैराजों के निर्माण से असली फायदा उन निजी कंपनियों को होना था जिन्होंने गंगा नदी के प्रवाह से सटे जिलों में या तो अपनी कोयला आधारित ताप बिजली परियोजना स्थापित कर ली है या फिर करने वाले हैं। 
गंगा में जहाज से सर्वाधिक फायदे में रहेंगे अडानी 
गंगा नदी में जलपरिवहन की केंद्र सरकार की योजना को लेकर सबसे चौंका देने वाला तथ्य यह है कि इलाहाबाद से हल्दिया तक 11 सौ किलोमीटर के जलमार्ग को विकसित करने से सर्वाधिक फायदा अडानी समूह को होना है।गंगा में बैराज के निर्माण से भी सर्वाधिक फायदा अडानी समूह को ही होता क्यूंकि इससे भारी मालवाहक जहाज़ों को ले जाना संभव हो सकता था।महत्वपूर्ण है कि अडानी समूह ने आस्ट्रेलिया में दुनिया के सबसे बड़े कोल माइन की खरीदी की है।काबिलेगौर है कि हल्दिया में अडानी का फ़ूड प्रोसेसिंग प्लांट है तो हल्दिया से सटे ओड़िसा का धामरा पोर्ट भी अडानी की मल्कियत है।गौरतलब है कि यह पोर्ट अडानी ने भाजपा द्वारा लोकसभा चुनाव जीतने के दिन ही खरीदी थी।इसके अलावा झारखंड में भी गंगा के किनारे अडानी का एक बिजलीघर लगना है। वही उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में भी गंगा नदी के किनारे मडिहान के दादरीखुर्द पर भी अडानी की निगाह है यहाँ पर 1320 मेगावाट का एक बिजलीघर वेलस्पन एनर्जी के द्वारा लगाया जाना था लेकिन खबर है कि अडानी समूह वेलस्पन से 400 करोड़ रुपये में इन प्रस्तावित परियोजनाओं के निर्माण के अधिकार खरीदने को लेकर बातचीत कर रहा है, यह सौदा कभी भी अंतिम रुप ले सकता है।दरअसल पोर्ट के साथ साथ खुद की कोयला खदान होने का अडानी को अतिरिक्त लाभ मिल सकता है अगर उन्हें कोयले के परिवहन के लिए गंगा का परिवहन मार्ग मिल जाए|निस्संदेह ऐसे में बिजली क्षेत्र में काम कर रही तमाम निजी कंपनियों से अडानी ग्रुप बेहद आगे निकल जाएगा।
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