वाराणसी. सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमीं को नागपंचमी का व्रत होता है। इस बार यह व्रत 27 जुलाई गुरुवार को है। सावन महीने के इस पावन पर्व की काफी मान्यताएं हैं। ज्योतिष के अनुसार नागपंचमी सुबह सात बजकर 2 मिनट पर कर्क
लग्न में शुरू हो रही है। सात बजकर 14 मिनट पर कर्क लग्न समाप्त हो रहा है। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र वीरवार की रात को चार बजकर 39 मिनट पर समाप्त हो रही है।
शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग को पिलाते हैं दूध
नाग पंचमी का त्योहार पर नाग देवता की पूजा का विधान है। परंपरा है कि इस दिन नाग देवता को दूध पिलाया जाये। भारत के कई इलाकों में इस दिन कुश्ती का आयोजन होता है। तो कहीं-कहीं इस दिन जानवरों का नदी स्नान किया जाता है।
भगवान शंकर के गले का आभूषण नाग देवता
भगवान शंकर के गले का आभूषण है इसी कारण इसकी पूजा का महत्व है। वेद और पुराणों में नागों का उद्गम महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू से माना गया है। शेषनाग की शय्या महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू वेद और पुराणों में नागों का उद्गम महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू से माना गया है। भगवान विष्णु भी शेषनाग की शय्या पर लेटे हैं इसलिए भी इनकी पूजा होती है।