वाराणसी. स्वाति सिंह की गोलबंदी ने बसपा की नींद उड़ा दी है। स्वाति सिंह की सक्रियता से सपा का वोट बैंक भी खिसक सकता है। बसपा सुप्रीमो मायावती लगातार बीजेपी पर हमला बोल रही थी और माया के हमलों से बैकफुट पर आयी बीजेपी ने स्वाति सिंह को अपना शस्त्र बनाया है जिससे वह माया के वार पर पलटवार कर सके।
यूपी में वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सभी राजनीतिक दलों के निगाहों पर जातिगत वोट बैंक भी है। बीजेपी ने जातिगत वोट बैंक वाले समीकरणों को साधने के लिए सबसे अधिक मेहनत की है। अनुप्रिया पटेल, केशव प्रसाद मौर्या व स्वामी प्रसाद मौर्या के जरिये बीजेपी ने पिछड़े वर्ग में सेंधमारी का प्रयास किया है तो भारतीय समाज पार्टी के जरिए दलित वर्ग में भी घुसपैठ किया है। बीजेपी को क्षत्रियों का भी समर्थन की आवश्यकता है इसलिए उन्होंने मायावती को बैकफुट पर लाने वाली स्वाति सिंह को प्रदेश महिला अध्यक्ष बना दिया है। बीजेपी ने खास रणनीति के तहत ही स्वाति सिंह को यह जिम्मेदारी सौंपी है। स्वाति सिंह ने जिस तरह से परिवार के सम्मान की लड़ाई लड़ी है उससे लोगों की सहानुभूति स्वाति सिंह के साथ है और क्षत्रिय समाज ने भी स्वाति सिंह को खुल कर समर्थन दिया है। बीजेपी को विश्वास है कि अब वह स्वाति सिंह के जरिए क्षत्रियों का वोट मिलेगा। बीजेपी की इस रणनीति ने बसपा की नींद उड़ा दी है तो सपा को भी अपने क्षत्रिय वोटरों के खिसकने का डर बैठ गया है।
जानिए स्वाति सिंह की गोलबंदी
स्वाति सिंह लगातार क्षत्रिय समाज के कार्यक्रम में जा रही है और वहां से वह क्षत्रियों के स्वाभिमान की बात कहते हुए बसपा पर हमला बोल रही है। स्वाति सिंह ने क्षत्रिय समाज को गोलबंद करना शुरू कर दिया है। स्वाति सिंह ने बसपा के नसीमुद्दीन सिद्वीकी के खिलाफ पास्को एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया है और अभी तक पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है जिसका फायदा भी स्वाति सिंह को हो रहा है और वह लगातार सपा व बसपा पर हमला बोल रही है।
पूर्वांचल की राजनीति में पड़ेगा प्रभाव
स्वाति सिंह की सक्रियता से पूर्वांचल की राजनीति पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। पूर्वांचल में जाति पर विशेष ध्यान दिया जाता है और जातिगत समीकरणों के आधार पर प्रत्याशी का चयन भी होता है, ऐसे में स्वाति सिंह की सक्रियता ने बीजेपी को फायदा पहुंचाना शुरू कर दिया है।