अखिलेश त्रिपाठी
वाराणसी. पीएम नरेंद्र मोदी के नोट बैन के फैसले के एक माह बीत जाने के बाद भी लोगों को कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। एटीएम और बैंकों की भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही है, वहीं इस नोटबंदी का असर मंदिर और धार्मिक स्थलों पर भी देखा जा रहा है। काशी के विश्वनाथ मंदिर, संकटमोचन मंदिर सहित विंध्याचल के विंध्यवासिनी देवी मंदिर में दान और चढ़ावा में खासी कमी आई है। हालांकि काशी के विश्वनाथ मंदिर मे मंदिर प्रशासन की ओर से स्वाइप मशीन लगाये गये हैं, बावजूद इसके पहले की तुलना में दानपात्र हल्के होते जा रहे हैं। वहीं विंध्याचल के विंध्यावासिनी मंदिर में तो दानपात्रों की संख्या घटा दी गई है।
काशी विश्वनाथ मंदिर के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी पीएन द्विवेदी का कहना है कि नोटबंदी को लेकर मंदिरों के दानपात्रों में कुछ कमी तो आई है, लेकिन इसको कोई ज्यादा फर्क नहीं दिख रहा है। उन्होंने कहा कि मंदिर के काउंटर पर पुराने नोट नहीं लिये जा रहे हैं, लेकिन भक्तों को असुविधा ना हो, इसके लिए स्वाइप मशीन लगाये गये हैं और इन मशीनों की संख्या भी जल्द ही बढ़ा दी जाएगी। काशी विश्वनाथ मंदिर के अलावा सोनारपुरा के चिंतामणि गणेश मंदिर, कमच्छा के बटुक भैरव मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, शनिदेव मंदिर में दान पहले की तुलना में मात्र 20 फीसदी रह गया है। इन मंदिरों में चढ़ावा अब सिक्कों में हो रहा है।
वहीं मिर्ज़ापुर के विंध्याचल में स्थित विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर भी नोटबंदी के बाद बेहाल है। मंदिर में मौजूद दानपात्रों में लाखों रूपये का दान आता था, मगर अचानक नोटबंदी के कारण दानपात्र में चढ़ने वाला पैसा कम हो गया है। जहां पहले मंदिर के दानपात्रों में महीने में दस से बारह लाख दान आता था, वह अब घटकर एक लाख पर आ गया है। पुराने हजार और पांच सौ के नोट दानपात्रों में डालने से रोकने के लिए आरबीआई के निर्देश पर जिला प्रशासन ने मंदिर में लगे आठ दान पात्रों में से सात दानपात्र बंद कर दिए गए हैं, इसकी वजह से भी दानपात्रों में पैसा मिलना कम हो गया है।
विंध्य पंडा समाज के कोषाध्यक्ष गौतम द्विवेदी भी मंदिर में दान देने में आई अचानक कमी पर परेशान हैं। उनका कहना है कि दान में कमी आने से मंदिर व्यवस्था में परेशानी आ रही है और आने वाले समय में अगर इसको लेकर व्यवस्था नहीं की गई और स्थिति गंभीर हो सकती है।
इनपुट- मिर्जापुर से सुरेश सिंह