Breaking-जिंदगी की जंग हार गए ओलंपियन शाहिद
गुड़गांव के मेदांता हॉस्पिटल में ली अंतिम सांस. वाराणसी सहित दुनिया भर के खेल प्रेमियों में शोक की लहर।
वाराणसी. ओलंपिक में टीम हाकी इंडिया को गोल्ड मेडल दिलाने वाले दुनिया के जाने-माने ड्रिबलर जीवन का जंग हार गए। बुधवार की सुबह गुड़गांव के मेदांता हो गया। लीवर और किडनी की बीमारी से जूझ रहे ओलंपियन शाहिद का मेदांता हास्पिटल में डॉ त्रेहान और डॉ.सूद के अंडर में इलाज चल रहा था। लीवर में इंफेक्शन के बाद उन्हें बीएचयू के सरसुंदर लाल चिकित्सालय से मेदांता हास्पिटल के लिए रेफर किया गया था।
बीएचयू के गैस्ट्रो इंट्रोलॉजी के विशेषज्ञ डॉ.वीके दीक्षित ने सबसे पहले पत्रिका को यह जानकारी दी थी कि मो.शाहिद का लीवर डैमेज हो चुका है। उन्हें लीवर ट्रांसप्लांट की जरूत है। लिहाजा स्पेशलिस्ट लीवर हॉस्पिटल में ले जाना चाहिए।
मेदांता जाने के बाद शाहिद के पुत्र मो. शैफ लगातार पत्रिका के संपर्क में रहे। उन्होंने ही बताय था कि पापा को चार बार डायलसिस पर रखा गया। बीती रात चौथी बार डायलसिस हुई थी। लेकिन उनकी हालत रात में ही बिगड़ने लगी और आज सुबह उनका इंतकाल हो गया।
बता दें कि मो. शाहिद ही थे जिनकी ड्रिबलिंग की कला का दुनिया के किसी हाकी खिलाड़ी के पास जवाब नहीं था। इसी की बदौलत उन्होंने 1980 में भारत को ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिलाया था। वाराणसी के गोलघर कचहरी के रहने वाले मो.शाहिद डीरेका में खेल अधिकारी पद पर कार्यरत थे।