कब क्यों और कैसे शुरू हुआ मुलायम परिवार में झगडा ,देखिये कब किसने किसको दी शिकस्त
वाराणसी.मुलायम सिंह यादव के परिवार का महाभारत अंतिम दौर में पहुँच गया है अगले दो दिन समाजवादी पार्टी के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होने जा रहे हैं यह देखने वाली बात होगी कि इस महाभारत में कौन जीतता है फिलहाल हम आपको बताते हैं कि इस लड़ाई की शुरुआत कैसे और कब हुई और किस तरह से पिछले एक साल से चला आ रहा यह विवाद इतना बढ़ गया कि अंततः भाई भाई का दुश्मन बन गया।
दिसंबर 2015: मुलायम सिंह यादव ने अचानक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सरकार के तीन अहम मंत्रियों को हटा दिया इसके बाद नाराज सीएम अखिलेश अपने गृह नगर सैफई में होने वाले सैफई महोत्सव नहीं गए। अखिलेश के विरोध के बाद तीनों मंत्रियों आनंद बहादुरिया, सुनील यादव साजन और सुबोध यादव को वापस मंत्रिमंडल में लिया गया।
मार्च 2016: अमर सिंह की समाजवादी पार्टी में राज्यसभा के माध्यम से पुनः प्रवेश हुआ। शिवपाल यादव द्वारा अमर सिंह की वापसी का समर्थन किया गया जबकि अखिलेश यादव और और राज्यसभा में पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने इसका विरोध किया।
जून 2016: शिवपाल यादव ने माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल के साथ गठबंधन किया। कौमी एकता दल का अगस्त में समाजवादी पार्टी में विलय भी होना था, लेकिन अखिलेश द्वारा जबरदस्त विरोध इस गठबंधन में सहयोगी रहे शिवपाल यादव के नजदीकी मंत्री बलराम यादव को अखिलेश ने पार्टी से हटाया
जुलाई 2016: शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी छोड़ने की धमकी दी। मुलायम सिंह द्वारा बीचबचाव करके मामले को शांत किया गया।
अगस्त 2016: शिवपाल यादव कौमी एकता दल के विलय के मुद्दे पर डटे रहे। उन्होंने मुलायम को भी मना लिया लेकिन अखिलेश नहीं माने।
11 सितंबर 2011: अखिलेश यादव ने भ्रष्टाचार के आरोपों में गायत्री प्रजापति और राज किशोर को मंत्रिमंडल से हटा दिया, लेकिन मुलायम और शिवपाल ने इसका विरोध किया। इसी दिन अमर सिंह ने एक पार्टी दी जिसमें अखिलेश नहीं गए लेकिन उनके मुख्य सचिव दीपक सिंघल इसमें शामिल हुए। बताया जाता है कि इस पार्टी में दीपक सिंघल ने सरकार और समाजवादी पार्टी में अखिलेश की स्थिति का मजाक उड़ाया।
12 सितंबर: अखिलेश यादव ने मुख्य सचिव दीपक सिंघल को उनके पद से हटा दिया जो कि अमर सिंह के बेहद नजदीकी माने जाते थे।
13 सितंबर: मुलायम सिंह यादव पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष पद से अखिलेश यादव को हटा दिया और उनकी जगह शिवपाल यादव को नियुक्त कर दिया। उसी दिन शाम को अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव से कई मंत्रालय छीन लिए।
15 सितंबर: शिवपाल यादव ने दिल्ली में मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की।उसी दिन शाम और देर रात तक शिवपाल की लखनऊ में मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के साथ बैठक हुई। रात 10 बजे शिवपाल सिंह, उनकी पत्नी और बेटे ने समाजवादी पार्टी और उत्तर प्रदेश सरकार में सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।
16 सितम्बर -मुलायम सिंह यादव के द्वारा लखनऊ पहुँच कर समझौता कराये जाने के बाद शिवपाल यादव के मंत्रालय वापस करने का फैसला ,सीएम अखिलेश द्वारा निकाले गए गायत्री प्रजापति की भी पार्टी में वापसी का ऐलान ।
16 सितंबर: अखिलेश यादव ने कहा कि उन्होंने और उनके पिता ने फैसला किया है कि पार्टी और सरकार से बाहरी लोगों को दूर रखना है। जब उनसे पूछा गया कि कितने बाहरी लोग है तो उन्होंने एक कहा, एक भी हो सकता है. माना जाता है कि उनका इशारा अमर सिंह की तरफ था।
22 अक्टूबर अखिलेश के नजदीकी एमएलसी उदयवीर सिंह ने मुलायम को पत्र लिखा और परिवार में हो रहे झगडे के लिए उनकी पत्नी साधना गुप्ता और शिवपाल को जिम्मेदार ठहराया ,शिवपाल ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निकाला।
23 अक्टूबर -मुलायम के दूसरे भाई रामगोपाल यादव ने विधायकों को चिठ्ठी लिखी जिसमे उन्होंने कहा कि रामगोपाल यादव ने लिखा है कि हम चाहते हैं कि राज्य में समाजवादियों की सरकार बने जबकि वो यानि (शिवपाल और उनके समर्थक) चाहते हैं कि हर हाल में अखिलेश चुनाव हारें। हमारी सोच पॉजिटिव है, जबकि उनकी सोच नेगेटिव है। रामगोपाल ने लिखा है कि अखिलेश के साथ वो लोग हैं, जिन्होंने पार्टी के लिए खून पसीना बहाया है, अपमान सहा है, जबकि उधर के लोग वो हैं, जिन्होने हजारों रुपया कमाया है, व्यभिचार किया है और सत्ता का दुरूपयोग किया है।अखिलेश यादव ने शिवपाल और उनके समर्थक तीन अन्य मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया ।रामगोपाल यादव को भाजपा के साथ साठ गाँठ का आरोप लगाकर शिवपाल ने 6 साल के लिए पार्टी से निकाला।