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ओलंपियन हॉकी के उस्ताद शाहिद को याद कर नम हुई आंखें

locationवाराणसीPublished: Jul 21, 2017 05:50:00 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

प्रथम पुण्यतिथि पर सिगरा स्टेडियम में पांच सौ से अधिक खिलाडिय़ों ने दी श्रद्धांजलि, कई स्थानों पर आयोजित की गई शोक सभा। ओलंपियन राहुल सिंह ने मुंबई से पत्रिका को कुछ इन लफ्जों में भेजी श्रद्धांजलि।

Mohammed Shahid

Mohammed Shahid

वाराणसी. दुनिया के मशहूर ड्रिबलर, हॉकी के उस्ताद मोहम्मद शाहिद को विदा हुए एक साल गुजर गए। लेकिन ऐहासस ही नहीं होता कि वह अब हमारे बीच नहीं रहे। लेकिन यह हकीकत है। दुनिया भर के डिफेंडरों को पलक झपकते छकाने वाला वह काशी का हाकी का जादूगर जिंदगी की जद्दोजहद हार कर असमय ही चला गया। ऐसे सपूत को काशी ने गुरुवार की उनकी पहली पुण्यतिथि पर स्मरण किया। लेकिन यह मौका भी बहुत ही गमगीन रहा। हर खिलाड़ी की आंखें सजल हो उठी थीं।

बता दें कि आज के ही दिन (20 जुलाई) शाहिद भाई ने काशी से बहुत दूर मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली थी। वह अपने प्रशंसकों से दूर ऐेसी यात्रा पर चले गए, जहां से कोई वापस नहीं आता है। वह भी महज 56 वर्ष की आयु में।


tribute to Olympian Mohammed Shahid








इस मौके पर ओलंपियन राहुल सिंह ने पत्रिका को मुंबई से अपने संस्मरण व श्रद्धांजलि कुछ इस तरह से शेयर किया..


हॉकी के पक्के मास्टर थे शाहिद भाई
दुनिया जिन्हें ड्रिबलिंग का मास्टर मानती है। मेरा मानना है कि हॉकी के हर स्किल के वह मास्टर थे। गेंद कैसे रोकी जाती है। कैसे उसे विरोधियों को छकाते हुए साथी को पास की जाती है। कैसे गोलपट्टी बजाई जाती है, यानी हॉकी में जो-जो कुछ होता है उन सबका हुनर उनमें था। आज साल भर हो गए उन्हें हमसे बिछुड़े। लेकिन लगता यह है कि वह अब भी मेरे सामने खड़े हैं, आवाज दे रहे हों, ‘राहुल डियर कहां हो, प्रैक्टिस कितने बजे से है? वह मेरे बड़े भैया ओलंपियन स्व. विवेक सिंह के साथ के थे। मुझे छोटा भाई ही माना। लेकिन मैने उनसे जो हॉकी के गुर सीखे उसे कभी नहीं भूल पाता। एक संस्मरण याद आता है, मैनें एक बार उनसे कहा, भाई साहब मुझे बाईं तरफ से गेंद रोकने में दिक्कत होती है। उनका बहुत सरल सा जवाब था, कल प्रैक्टिस में थोड़ा पहले आना, मैं उनके कहे अनुसार मैदान में पहुंचा। उन्होंने जो टिप्स दिए उसका मैं कायल हो गया। उस एक पल के बाद से तो लोग मुझसे कहने लगे कि, ‘राहुल का लेफ्ट का स्टॉपेज देखो, गेंद थोड़ी भी नहीं हिलती,’ यह सुन कर मुझे भी फक्र होता। मैं शुक्रिया अदा करता हूं उस महान हॉकी खिलाड़ी को। शाहिद भाई की स्टिक में तो मानों चुंबक होता था, गेंद चिपक ही जाती थी। तभी तो वह विरोधी रक्षा पंक्ति को छकाते हुए गोल पट्टी गुंजा देते थे। उन जैसे खिलाड़ी और प्रशिक्षक विरले पैदा होते हैं। आज के दिन मैं उन्हें दिली तौर पर नमन करता हूं।-ओलंपियन राहुल सिंह।


इधर हॉकी के उस्ताद मोहम्मद शाहिद की याद में गुरुवार को सिगरा स्टेडियम में क्षेत्रीय खेल कार्यालय वाराणसी, जिला ओलंपिक संघ और हॉकी वाराणसी के तत्वावधान में शाम को पांच बजे से श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। इसमें विभिन्न खेलों के पांच सौ अधिक खिलाडिय़ों और प्रशिक्षकों ने हिस्सा लिया। आरएसओ एसएस मिश्रा, साई के पूर्व चीफ कोच फुटबॉल फरमान हैदर, हॉकी यूपी के उपाध्यक्ष केबी रावत, ओलंपिक संघ के कार्यकारी सचिव शम्स तबरेज शम्पू, हॉकी वाराणसी के उपाध्यक्ष डा. रघुराज प्रताप सिंह और महेंद्र सिंह यादव सहित 15 खेलों के प्रशिक्षकों ने मोहम्मद शाहिद के चित्र पर माल्र्यापण किया।


इस मौके पर मोहम्मद शाहिद के बेटे मोहम्मद सैफ, भाई फैयाज अहमद और परिवार के कई और सदस्य भी मौजूद थे। श्रद्धांजलि सभा में सभी लोगों ने दो मिनट मौन रखकर गतात्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। इदरीस अहमद ने कार्यक्रम का संचालन किया। वीपीएस पॉल ने आभार जताया।


यूपी कालेज के खेल मैदान पर हॉकी, फुटबॉल सहित अन्य खेलों के खिलाडिय़ों ने शोक सभा की तो डीरेका के खेल मैदान पर फुटबॉलर भैरव दत्त की अध्यक्षता में खिलाडिय़ों ने शोक सभा की।



हॉकी के उत्थान के लिए सरकार तत्पर है: खेल मंत्री
मोहम्मद शाहिद अंतरराष्ट्रीय हॉकी के सितारे थे। उनकी यादों को सरकार कभी भुलने नहीं देगी। हॉकी के उत्थान के लिए प्रदेश सरकार हमेशा तत्पर है। हमारी कोशिश है कि हॉकी में बनारस का परचम हमेशा सबसे ऊपर लहराए।
डा. नीलकंठ तिवारी, खेल राज्य मंत्री उत्तर प्रदेश

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