वाराणसी. आखिरकार वाराणसी के नगर आयुक्त डॉ. श्रीहरि प्रताप शाही का तबादला हो ही गया। फिलहाल इन्हें प्रतीक्षा सूची में रखा गया है। बता दें कि आठ अगस्त 2015 को वाराणसी नगर निगम के नगर आयुक्त का पदभार संभालने वाले डॉ. शाही का पिछले साल अखिलेश यादव के कार्यकाल में भी तबादला हुआ था लेकिन तब उन्होंने ऊंची पहुंच के चलते तबादला आदेश निरस्त करा लिया था। बताया तो यहां तक जाता है कि उन्होंने वाराणसी के डीएम से डीओ लेटर तक लिखवा लिया था। लेकिन अबकी बाद सीएम योगी आदित्य नाथ ने प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र से इन्हें हटा दिया है।
बता दें कि कुछ ही दिन पहले योगी आदित्य नाथ ने लखनऊ में प्रदेश के नगर आयुक्तों और विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्षों की जो बैठक की थी उसमें वाराणसी के नगर आयुक्त को सूबे के 10 सबसे खराब नगर आयुक्तों की श्रेणी में डाला था और उनसे जवाब तलब भी किया था। समझा जा रहा है कि उसी समय से डॉ. शाही की उलटी गिनती शुरू हो गई थी। अब जबकि केंद्र ही नहीं सूबे में भी बीजेपी की सरकार है ऐसे में सीएम योगी के आगे केंद्रीय मंत्रिमंडल के सबसे बड़े ओहदेदार की भी फिलहाल नहीं चली है।
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नगर आयुक्त के रूप में यूं तो डॉ. श्रीहरि प्रताप शाही ने बनारस में लगभग दो साल गुजार दिए लेकिन नगर निगम और जल कल के मुखिया होते हुए भी बनारस की हालत बद से बदतर हो गई। यहां तक कि प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान को नगर निगम हमेशा पलीता लगाता रहा। पब्लिक बराबर चिल्लाती रही कि यहां सीवर बह रहा है यहां कूड़ा फेंका जा रहा है, यहां कूड़ा जलाया जा रहा है। पर कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई पूर्व डीएम विजय किरन आनंद के कार्यकाल में तो हद ही हो गई जब डीएम सुबह- सुबह नगर निगम पहुंच गए और नगर आयुक्त का कहीं अता पता नहीं था। तब पूर्व डीएम ने मौके से ही नगर निगम के कर्मचारियों के सामने मोबाइल पर ही नगर आयुक्त का जम कर क्लास ले लिया था। इनके बारे में एक बात बहु प्रचलित रही कि आम नागरिक तो दूर, जिले के आला अफसरों के भी फोन ये नहीं उठाते रहे।
अब डॉ. श्रीहरि प्रताप शाही की जगह शासन ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के निदेशक नितिन बंसल को बनारस का नया नगर आयुक्त नियुक्त किया है। अगर दोबारा फेरबदल नहीं हुआ तो नितिन बंसल ही नगर आयुक्त होंगे।