scriptऑनर किलिंग और आधी आबादी | Honour killing and woman poulation | Patrika News
वर्क एंड लाईफ

ऑनर किलिंग और आधी आबादी

कबायली सोच में बदलाव कब ?

Jul 19, 2016 / 04:18 pm

पवन राणा

Qandeel Baloch

Qandeel Baloch

– कविता वर्मा, साहित्यकार, इंदौर

कंदील बलोच, मीडिया में गूंजता यह नाम एक बार फिर सोचने को विवश कर रहा है कि आखिर हम कहां जा रहे हैं ? कंप्यूटर के सुपर नॉलेज के बावजूद हम फिर अंधेरों की ओर तो नहीं बढ़ रहे ? पाकिस्तान की सोशल मीडिया स्टार कंदील की उसके भाई ने गला दबा कर हत्या कर दी। कंदील का दोष इतना ही था कि उसने अपने फोटो वीडियो सोशल मीडिया पर डाले थे और वह अपने आप को बोल्ड अंदाज में पेश करती थी एवं बोल्ड स्टेटमेंट्स देती थी। अपनी जिंदगी अपनी तरह से जीना चाहती थी, जो उसके भाई को नागवार गुजरा। उसके भाई का मानना था, लड़कियों को घर में शालीनता से रहना चाहिए।

शालीनता से तो लड़कों को भी रहना चाहिए, क्या सभी रहते हैं ? तो इसका हल क्या है, किसी की जान ले लेना ? हास्यास्पद है कि सलीके की उम्मीद करने वाले बर्बर तौर तरीके अपनाएं। कंदील या उस जैसी हज़ारों लड़कियां हैं, जो तयशुदा मानकों के
परे जाकर अपनी जिंदगी के हर आयाम तक पहुंचना चाहती हैं, जिन्हें कुचल दिया जाता है। हो सकता है हममें से कई लोगों को कंदील का इतना बोल्ड होना पसंद ना हो लेकिन वह उसकी जिंदगी थी, जो उसे भी एक ही बार मिली थी। उसे अपने तरह से जीने का उसे पूरा हक़ था। वह किसी को नुकसान नहीं पहुँचा रही थी इसलिये उसे रोकने का या ख़त्म करने का अधिकार किसी को नहीं था।

इंसान की इंसान पर शासन करने की, अपने प्रभाव से दूसरों की जिंदगी पर नियंत्रण करने की इच्छा के चलते वह हमेशा अपने से कमजोर को ढूंढ़ता रहा और फिर उसने पाया कि स्त्री के रूप में एक कमजोर इंसान हमेशा उसके पास है तब उसने उनके लिए नियम कायदे बना कर अपनी संप्रभुता स्थापित की। ऑनर किलिंग इस प्रवृत्ति का सबसे वीभत्स पहलू है जिसमें एक लड़की को उसके परिवार के सदस्य ही परिवार-खानदान की इज्जत के नाम पर मार देते हैं। दूसरी जाति-धर्म में मनपसंद शादी करने, अपने तरीके से जीने या लड़की के बलात्कृत होने से समाज के सामने शर्मिंदगी के झूठे एहसास के कारण लड़कियों की जान ले ली जाती है।

आंकड़े बताते हैं कि हर वर्ष लगभग ५००० लड़कियां ऑनर किलिंग की शिकार होती हैं। कहने को हम तरक्की कर रहे हैं विकास के नए पायदानों पर चढ़ रहे हैं लेकिन अभी भी कबायली सोच से उबर नहीं पाए हैं। शिक्षा के विकास में मानवीयता के पहलू को जोड़ने में असफल रहे हैं। चाहे लड़के लड़की में ऊपरी भेदभाव ख़त्म हो गया हो लेकिन जेहनी भेदभाव अभी भी बरक़रार है। इज्जत के नाम पर मारपीट-गाली गलौज व क़त्ल कर सकते हैं, उसमे इज्जत कम नहीं होती पर किसी को उसकी जिंदगी हंसी ख़ुशी उसके तरीके से नहीं जीने दे सकते। घटना ने हमें फिर मौका दिया है, हम अपने मन को टटोलें, अपने आधुनिक उदारवादी आवरण के पीछे छुपे अँधेरे कोनों को तलाशें और लड़कियों के प्रति अपने ओछे विचारों को झाड़ पोंछ कर साफ़ करें।

Home / Work & Life / ऑनर किलिंग और आधी आबादी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो