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बजट को समझना भी है जरूरी

Published: Mar 26, 2015 04:04:00 pm

कीमत की बजाय चीज के मोल को महत्व दिया जाए वह आपके लिए उपयोगी और पसंद
की होनी चाहिए

मार्च-अप्रेल यानी सेल का वक्त। कुछ कंपनियां सीजन का अंत होने पर स्टॉक क्लीयरेंस सेल लगाती हैं तो कुछ चालू वित्त वर्ष में अपने सेल्स के आंकड़े हासिल करने के लिए भी सेल का सहारा लगाती हैं। ऎसे में एक जागरूक उपभोक्ता के रूप में आपको इस खेल में क्लीन बोल्ड होने से बचने के लिए इन पांच गलतियों से बचना होगा।

गलती : ब्रांड के नाम को ज्यादा अहमियत देना
सुझाव : माना कि बड़े ब्रांड अपने प्रोडक्ट अच्छी गुणवत्ता वाले और नवीनतम फैशन स्टाइल के अनुरूप बनाते हैं और इसी से उनकी पहचान होती है, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि उनका लेबल लगा होने पर हर चीज ही बढिया होगी। कई बार बड़े ब्रांड भी सही निर्णय न ले पाने की वजह से गलत स्टाइल या डिजाइन के कपड़े, जूते या इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट बना देते हैं, जिन्हें वे “सेल” के माध्यम से निकालते हैं। इसलिए प्रोडक्ट चुनते वक्त अपनी जरूरत और बजट को अहमियत दें।

गलती : आंख मूंद कर हर शर्त को स्वीकार करना
सुझाव : आपने सामान “छूट” में लिया है, “लूट” में नहीं। ज्यादातर कंपनियां या दुकानदार “सेल” का माल बेचते समय साफ -साफ लिख देती हैं,”नो एक्सचेंज- नो रिटर्न” और ज्यादातर खरीदार इस शर्त को स्वीकार भी कर लेते हैं। लेकिन अगर कोई सामान कहीं से कटा-फटा है या कपड़े की साइज छोटी-बड़ी है तो भी नहीं बदला जाएगा तो यह गलत नीति ही कही जाएगी, क्योंकि हर जगह कपड़े का ट्रायल लेना भी संभव नहीं। ऎसे में चाक-चौबंद होकर ही सामान खरीदें। ऑनलाइन शॉपिंग में कई सामान डिस्काउंट पर तो मिलते हैं, लेकिन कुछ में फ्री डिलिवरी की सुविधा नहीं रहती, ऎसे में ले-देकर बात बराबर पड़ जाती है।

गलती : डिस्काउंट के कारण ज्यादा खरीदना

सुझाव : सेल के शातिर खिलाड़ी, खरीदार के सामने डिस्काउंट का लॉलीपॉप लटका कर बड़ी आसानी से उसकी जेब ढीली करवा लेते हैं। इनकी स्कीम कुछ ऎसी होती हैं, एक की खरीद पर 20 प्रतिशत छूट, दो की खरीद पर 25 की प्रतिशत छूट, लेकिन तीन की खरीद पर उसी मूल्य का एक आइटम मुफ्त। इससे ग्राहक ज्यादा से ज्यादा डिस्काउंट का फायदा उठाने के चक्कर में बिना जरूरत के भी एक की बजाय चार आइटम खरीद लेता है। इस खेल में फायदा हमेशा विक्रेता का होता है। उसके माल की बिक्री चार गुना हो जाती है और यही उसका मुख्य लक्ष्य होता है।

गलती : हड़बड़ी में निर्णय लेना

सुझाव : ज्यादातर “सेल” वाले ऎसा प्रचारित करते हैं, मानो इतनी तगड़ी छूट प्राप्त करने का यह अंतिम मौका है और जान-बूझ कर तीन-चार दिन का समय फिक्स कर देते हैं, जो बार-बार आगे बढ़ता रहता है। जबर्दस्त प्रचार के कारण लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है और इस भीड़ में हर कोई यह सोचकर घबराया होता है कि जो लेना है, फटाफट ले लो, वरना किसी दूसरे ने इस आइटम को ले लिया तो मौका हाथ से निकल जाएगा। ऎसे में खरीदार अक्सर ठीक से सोचे-समझे बिना आइटम खरीद देता है, जिसके लिए घर आकर उसे पछताना पड़ता है। हम कई बार ऎसे सामान जोश में आकर खरीद लेते हैं, जिसे कभी इस्तेमाल ही नहीं करते। इसलिए सस्ते के चक्कर में हड़बड़ी में कोई चीज न खरीदें।

गलती : चीज की बजाय कीमत को चुनना
सुझाव : कई लोग सस्ती चीज यह सोचकर खरीद लेते हैं कि अरे देखा जाएगा, कभी न कभी पहन लेंगे। जबकि ज्यादातर मामलों में ऎसी चीज अनुपयोगी ही साबित होती है। होना यह चाहिए कि कीमत की बजाय चीज के मोल को महत्व दिया जाए यानी वह आपके लिए उपयोगी और आपकी पसंद की होनी चाहिए, भले ही वह कुछ ज्यादा कीमत की हो। वरना जो पैसे आपने खर्च किए हैं, वे पूरी तरह व्यर्थ हो जाएंगे।

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