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युवाओं के लिए जॉब सिक्योरिटी है टॉप प्रायोरिटी

साल 1980 से 1995 के बीच पैदा हुए 94 प्रतिशत लोगों की पहली प्रायोरिटी जॉब सिक्योरिटी है

Jun 14, 2016 / 08:45 am

सुनील शर्मा

career and job options

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साल 1980 से 1995 के बीच पैदा हुए 94 प्रतिशत लोगों की पहली प्रायोरिटी जॉब सिक्योरिटी है। यानी 35 साल तक के युवा सैलरी हाइक से ज्यादा से जॉब सिक्योरिटी को प्रिफरेंस देते हैं। यही नहीं, इस दौर के युवाओं को अपनी रिटायरमेंट एज बढ़ाने से भी कोई ऐतराज नहीं है। करीब 39 प्रतिशत युवा 65 साल तक काम करना चाहते हैं, वहीं 25 प्रतिशत तक का कहना है कि वे 70 साल की उम्र तक काम करेंगे। वे नई चुनौतियों को लेने में काफी आगे हैं और अपने काम की एफिशिएंसी को बढ़ाने में विश्वास रखते हैं। सर्वे में 25 देशों के हजारों एम्प्लॉइज को शामिल किया गया था।

यह जनरेशन है आगे
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि इस जनरेशन के लोग पहले की पीढ़ी से ज्यादा चुनौतियों को स्वीकारते हैं। 89 प्रतिशत ने यह भी माना कि निजी कारणों के चलते भी वह चार वीक से ज्यादा छुट्टियां नहीं लेते। इंडियंस पर गौर करें तो 41 प्रतिशत लोग ट्रैवल और आराम के लिए ब्रेक लेते हैं। 82 प्रतिशत का मानना है कि वे वीक में 40 घंटे से ज्यादा काम करते हैं, वहीं 45 फीसदी ने माना कि वे 50 घंटे तक काम करते हैं। 74 प्रतिशत इंडियन एम्प्लॉइज फुल टाइम जॉब को प्रिफर करते हैं। 34 प्रतिशत सेल्फ एम्प्लॉइमेंट को कंसीडर करते हैं।

इंडिपेंडेट हैं एम्प्लॉइ
इस रिसर्च में यह भी निकलकर आया है कि इस टाइम पीरियड के एम्प्लॉइ काफी इंडिपेंडेंट हैं। साथ ही सेल्फ मोटिवेटर भी हैं। वे अपनी उपयोगिता और रचनात्मकता, दोनों को अच्छी तरह से जानते हैं। इतना ही नहीं, उनमें प्रॉब्लम सॉल्विंग एबिलिटी भी शामिल है। 65 साल तक काम करने में इंडिया का नम्बर 16 है। यंगस्टर्स 60 की बजाय 65 साल तक काम करने में रुचि दिखा रहे हैं। दूसरी ओर, ग्लोबल लेवल पर करीब 14 प्रतिशत एम्प्लॉइज का यह मानना है कि वे जीवन के अंतिम दिन तक काम करना चाहते हैं।

नजर आती है सकारात्मकता
इस जनरेशन के लोगों में एक सकारात्मकता भी नजर आती है। वे जॉब सिक्योरिटी तो चाहते हैं, लेकिन यदि जॉब चली भी जाए तो निराश होने की बजाय पूरे जोश के साथ दूसरी जॉब को ढूंढ लेते हैं। रिसर्च में सामने आया कि 87 प्रतिशत एम्प्लॉइ को अपने पर इतना भरोसा है कि जॉब जाने के तीन महीने के अंदर उन्हें दूसरी जॉब मिल जाएगी। यही सकारात्मकता इन्हें काफी सक्सेसफुल बनाती है।

कुछ नया सीखना
इस जनरेशन के लोगों को हर दिन कुछ सीखना अच्छा लगता है। 78 प्रतिशत लोग अपना टाइम और मनी कुछ नया सीखने में लगाते हैं। 83 प्रतिशत स्किल डवलपमेंट पर फोकस करते हैं। मात्र सात प्रतिशत लोगों का ट्रेनिंग में कोई इंटरेस्ट नहीं है। वे जॉब सिक्योरिटी के न्यू स्किल्स और मनी को महत्व देते हैं। वहीं, हर 10 में 8वां एम्प्लॉइ सोशल रेस्पॉसिबल भी नजर आता है।

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