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वर्क एंड लाईफ

बेटियों को बनाएं मजबूत

बेटियां आज हर क्षेत्र में आगे बढऩे लगीं हैं। उनको कमतर नहीं आंके और हर क्षेत्र में दें प्रोत्साहन…

Jul 07, 2016 / 04:42 pm

पवन राणा

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– जयति गोधावत

बेटियां आज हर क्षेत्र में आगे बढऩे लगीं हैं। लेकिन इस प्रगतिशील दौर में भी जब महिलाओं के खिलाफ और खास तौर से बच्चियों के यौन उत्पीडऩ की खबरें पढ़ते-सुनते हैं तो मन में पीड़ा होती है। बेटियों को शुरू से ही मजबूत बनाया जाना चाहिए। सवाल यह है कि ऐसी बेटियां जो न कभी छोटे कपड़े पहनती, न कभी रात को अकेले में निकलती फिर भी क्यों दरिंदों का शिकार हो जाती हैं।

देखने में यह आता है कि घर-परिवारों में शुरू से ही यह अहसास कराया जाता है कि बेटी अबला है। उसे हर वक्त अदब से रहो, कायदे से रहो की नसीहतें देते रहते हैं। जब आप अपने घर में बेटे के सारे काम अपनी बेटी या बहू से कराते हैं तो एक तरह से आप पुरुषों को बढ़ावा ही दे रहीं होती हैं। बार-बार बेटियों को यह कहकर रोकने-टोकने की जरूरत नहीं है कि तू तो लड़की है, लड़की की तरह ही रहना सीख। यहां तक कि ऐसे माहौल में बेटों को भी लगने लगता है कि उसकी बहिनें उसके मुकाबले कमतर हैं। जरूरत इस सोच में बदलाव लाने की है।

आज जब बेटियां हर क्षेत्र में नाम रोशन कर रहीं हैं तो फिर उन्हें पीछे क्यों रखा जाए? बेटियों को बेडिय़ों में जकडऩे की नहीं बल्कि उनकी बेडिय़ां खोलने की जरूरत है। उन्हें शुरू से ही यह सिखाया जाना चाहिए कि जिस तरह से मदज़् का वजूद है उसी तरह नारी का भी। उसे अपनी जिंदगी आजादी से जीने का मौका तो दीजिए। फिर देखिए, बेटियां कहां से कहां पहुंच जाती है।

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