scriptबातों से नहीं होगा नारी सशक्तिकरण | Real work needs to be done for Woman empowerment | Patrika News

बातों से नहीं होगा नारी सशक्तिकरण

Published: Jul 25, 2016 05:13:00 pm

बराबरी का हक भी मिले महिलाओं को

Respect yourself as woman

Respect yourself as woman

– डॉ. रश्मि श्रीवास्तव

आजकल नारी सशक्तिकरण की बातें खूब हो रहीं है। सही मायने में नारी को मजबूत करने का मतलब यह है कि उसे हर तरह से सक्षम किया जाए। उसे हर काम के लिए पुरुषों पर आश्रित नहीं होना पड़े। यह बात सही है कि पिछले सालों में महिलाओं
ने हर क्षेत्र में कदम बढ़ाया है। आज महिलाएं शिक्षा, चिकित्सा, इंजीनियरिंग और यहांं तक की सेना तक में अपनी धाक जमा रही है। लेकिन तरक्की की ये बातें आज भी इसलिए बेमानी लगती है क्योंकि महिलाओं को उनके हक से वंचित किया जाता रहा है।

सामाजिक व्यवस्था में बराबरी की हिस्सेदारी के लिए महिलाओं को हर मोर्चे पर संघर्ष करना पड़ रहा है। कारण साफ है, शिक्षा का अभाव। जाहिर है, महिलाओं को अपने हक के लिए जागरूक तब ही किया जा सकता है जब उन्हें शिक्षित होने का
मौका दिया जाए। आज भी खास तौर से ग्रामीण इलाकों में बालिकाओं को या तो पढऩे का मौका मिलता ही नहीं या उनके लिए पर्याप्त शिक्षण संस्थाओं का अभाव है। यह बात में साफ करना चाहूंगी कि नारी सशक्तिरण का आशय यह कदापि नहीं है कि हर मामले में वह पुरुषों की नकल करे। लेकिन इस धारणा को बदलने की जरूरत है कि नारी सिर्फ पुरुषों के लिए भोग की वस्तु है। उसे इन बातों को अस्वीकार करना होगा कि वह पुरुषों के अधीन रहे।

सबसे बड़ी बात यह है कि लिंग भेद के आधार पर कामों का बंटवारा नहीं हो। क्योंकि यह बात माननी होगी कि स्त्री व पुरुष दोनों ही इंसान है और उनमें समान योग्यता है। ऐसे में समाज में दोनों समान अधिकार रखते हैं। हमारे शास्त्रों में कहा गया है- यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता, अर्थात जहां नारियों की पूजा की जाती है वहां देवताओं का वास होता है। इसलिए यह मानना होगा कि नारी व पुरूष एक दूसरे के पूरक हैं। सिर्फ वैवाहिक रिश्ते आधार पर उसे पुरुषों के साथ पहचान देना उचित नहीं। महिलाएं कोई अच्छा काम करती हैं तो उन्हें इसके लिए शाबासी का अधिकार भी है। हम देख रहे हैं कि आज के पुरुष प्रधान समाज में इस बात को लेकर कतई उत्साह नहीं होता कि महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढऩे लगी है।

हिन्दुस्तान की बात करें तो इस देश में महिलाओं ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पद को सुशोभित किया है। आज भी कई राज्यों में महिलाएं मुख्यमंत्री का पद जिम्मेदारी और कुशलता से संभाल रही हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि महिलाओं के प्रति घरेलू हिेंसा का जो माहौल बना हुआ है उसे रोका जाए। आज कामकाजी महिलाओं की स्थिति भी परिवार में दोयम दर्जे की है। मारपीट व दहेज उत्पीडऩ तथा यौन शोषण की बढ़ती घटनाएं बताती हैं कि नारी सशक्तिरण कोरी बातों में दिख रहा है। महिलाओ के अधिकारों को लेकर जागृति तो आई है लेकिन इन्हेंं हासिल करने में उसको काफी परेशानियों का सामना करना पड रहा है। ऐसे में कोरी बातों से महिला सशक्तिरण होने वाला नहीं है। न केवल महिलाओं को इसके लिए आगे आना होगा बल्कि पुरुषों को भी यह समझना होगा कि घर-परिवार कर समृद्धि में महिलाओं का खासा योगदान है। महिलाओं को उनके हक से वंचित कर एक तरह से वे सामाजिक ताने-बाने को ही छिन्न-भिन्न करने में जुटे हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो