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आजादी व स्वच्छंदता में फर्क समझना होगा

Published: Sep 15, 2016 03:23:00 pm

आज महिलाएं सभी क्षेत्रों में परचम लहरा रही हैं। वह पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं

habeas corpus

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सुमन शर्मा

आज महिलाएं सभी क्षेत्रों में परचम लहरा रही हैं। वह पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं। लेकिन समाज में एक वर्ग ऐसा भी है जिसे यह सब रास नहीं आ रहा है। महिला के कामकाजी होने पर उसे अपने पुरुष सहकर्मियों सामंजस्य बनाकर कार्य करना होता है। महिलाओं का पुरुषों के साथ मेलजोल समाज के एक वर्ग को पसंद नहीं है।

ये लोग इसे शंका की दृष्टि से देखते हैं और जब किसी औरत का पति बाहर रहता हो और औरत को किसी भी काम के लिए जाना, किसी की शादी में जाना, किसी समारोह में जाना। घर, बाहर और ऑफिस, बच्चे इन सब का कितना काम होता है। सब पत्नी को ही करना होता है। वह हर जगह अकेली भागती रहती है। कभी कोई तकलीफ को नहीं समझता है। रिश्तेदार अपनी बेटी- पत्नी को रात में अकेले नहीं जाने देते साथ जाते है। लेकिन उन्हें उस औरत की चिन्ता नहीं होती है। औरत को जिसमें सेफ्टी लगेगी में भी वही काम करेगी।

एक महिला को दूसरे आदमी के साथ जाते-आते देख कर समाज का एक वर्ग बातें बनाने को तो तैयार रहता है लेकिन क्या उस महिला के साथ उनका कोई भाई, भतीजा या भांनजे जेठ, देवर कोई होता है जो उसे अपनी बेटी या पत्नी की तरह साथ जा कर उसके काम करवा दे, वास्तव में ऐसा नहीं होता है। क्यूं ना वो महिला अपने किसी जानकर मित्र के साथ जाए, जिसके साथ जाकर वो खुद को सुरक्षित महसूस करती है। जिसके साथ जा कर उसे आत्मबल मिलता है। वो सुरक्षित आ सकती है बिना डर के। तो समाज इस वर्ग को क्या दिक्कत है। उसे क्यों नहीं अपनी मर्जी जीने देता। वो कैसे अपने हुए जो अपनों को सुरक्षित और आराम की जिंदगी देख कर बात बनाएं, साथ चलने की अनुमति ना दें।
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