– भावना
आज सुबह जब उठते ही मैंने अपना व्हाट एप्स चैक किया तो देखा कि सारे दोस्तों ने अपने गुड मॉर्निंग मैसेज भेजे हुए थे जैसे ही मैंने पढऩा शुरु किया तो नोटिस किया कि सारे संदेश में कुछ कॉमन था। मुस्कुराने से आधे दु.ख दूर हो जाते है। आपकी मुस्कराहट दुनिया बदल सकती है। लेकिन दुनिया को तुम्हारी मुस्कराहट को मत बदलने दो। मुस्कराहट बड़ा निवेश है जिसे जितना आप महसूस करते हैं उससे ज्यादा मिलता है। यानी सब संदेशों में मुस्कराते रहने की प्रेरणा थीं।
दिन की शुरुआत मैं ही अगर ऐसे मैसेज आ जाये तो पूरा दिन ही खुशनुमा रहता है। लेकिन मैं किसी और सोच मैं ही पड़ गई कि अगर मुस्कुराना और हंसना इतना ज़रूरी है तो हम मुस्कुराना क्यूं भूल गए हैं। क्यों हमारे शुभचिंतको को हमें इस तरह से याद दिलाना पड़ रहा है कि आप मुस्कराओ। शायद बात मामूली है लेकिन इसके पीछे की सच्चाई बहुत कटु है।
आज की इस भाग दौड वाली जि़ंदगी मे हम सुबह से लेकर शाम तक भागते ही रहते हैं। सिर्फ अपने सपनों को पूरा करने के लिये और समाज़ मैं एक मुकाम हासिल करने के लिए। इस वजह से हमने अपनी जि़ंदगी को पूरी तरह से मशीनी बना दिया है जिसका काम सुबह से शाम तक सिर्फ चलना है। पूरा दिन हम अपने सपनों के लिए देते हैं। उन्हें पूरा करने के लिये दिन भर भागते रहते हैं। लेकिन इस सपने को पूरा करने के लिये जो चीज़ सबसे ज़रूरी है यानी हमारा शरीर, उसको हम आधा घंटा भी नही देते। न तो तो हम व्यायाम करते है और खुश रहना तो जैसे भूल ही गए हैं।
ये बात हम अच्छे से जानते हैं कि मुस्कुराना हमारे शरीर को स्वस्थ बनाने के साथ साथ हमारे मन को भी स्वस्थ रखता है और आसपास के माहौल को खुशनुमा बना देता है। शायद बड़े शहरों में इसीलिए आजकल हास्य क्लबों का चलन हो गया है। मुझे यह सोचकर ताज़्ज़ुब हो रहा था कि मुस्कुराने की प्रासंगिकता जानते हुए भी दूसरो को हमें ये याद दिलाना पडता है कि तुम खुश रहो। या तो वो लोग हमारे बहुत हितैषी होते हैं और चाहते है कि हम हमेशा खुश रहें, मुस्कुराते रहें और अपने आस पास के माहौल को खुशनुमा और सकारात्मक सोच वाला बनाएं रखें। या फिर ये कि अगर तुम खुश हो जाओगे तो शायद मैं तुमहे देख कर ही सही, कुछ देर के लिये मैं भी खुश हो पाउं।
सोचते सोचते मैं इस निष्कर्ष पर पहुंची कि चाहे जो हो इन मैसेजस के पीछे सोच चाहे जो हो हमें कभी भी मुस्कुराना नहीं छोडऩा है वर्ना एक वक्त ऐसा आएगा कि इंसानों और मशीनों में कोई फर्क नहीं रह जाएगा। जरा सोचिए, अगर इस दुनिया में इंसान हंसना छोड देंगे तो दुनिया का क्या हाल होगा? हमें ये बात याद रखनी है कि हम मशीन नही इंसान हैं। इंसान जिसके लिए अगर सपने ज़रूरी है तो उसके लिये हंसना-मुस्कराना और लोगों से मिलना भी उतना ही जरूरी है।